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चुनाव मिर्जापुर कांग्रेस दो अंतिम मिर्जापुर

वर्ष 2004 तक बिन्ध्याचल मंडल में मात्र दो सीटें मिर्जापुर और रावर्टसगंज सुरक्षित थी। 2009 के नये परिसीमन में भदोही एक अलग सीट बनी है। पहले भदोही मिर्जापुर में शामिल रहा था। अब मण्डल में तीन संसदीय क्षेत्र हैं।
वर्ष 1989 के पहले बिघ्यक्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा है। मिर्जापुर सीट पर 1967 में जनसंघ के वंशनारायण और 1977 में जनता दल के फकीर अली को छोड़कर बराबर कांग्रेस को ही सफलता मिलती रही। यही स्थिति रावर्टसगंज की भी रही।
1977 में जनता पार्टी के शिवसम्पतराम को छोड़कर हर बार कांग्रेस हाथ विजय श्री रही।इस तरह 1989 में जनता दल के रामनिहोर राम ने कांग्रेस के रामनिहोर पनिका को हरा कर इस सीट से बाहर कर दिया। फिर कांग्रेस मुख्य मुकाबले बाहर हो गयी।
वर्ष 1991, 1996, 1998 में भाजपा को जीत मिली। फिर सपा बसपा का प्रतिनिधित्व रहा। 2014 में भाजपा के छोटे लाल ने जीत हासिल की थी। खास बात यह है कि मिर्जापुर की तरह यहाँ भी कांग्रेस उम्मीदवार की किसी भी चुनाव में जमानत नहीं बच पायी। यह सिलसिला जारी है। कांग्रेस का यह मिथक मडंल में नयी बनी भदोही सीट पर भी जारी है।
असल में बिन्ध्याचल मंडल में 1991 के बाद भाजपा सपा बसपा के बीच ही सिमट कर रह गया है। पिछले चुनाव में मिर्जापुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश त्रिपाठी ने पूरे पूर्वांचल में सबसे ज्यादा मत प्राप्त करने के बाद भी अपनी जमानत राशि नहीं बचा पाये थे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बृजदेव पाण्डेय कहते हैं कि अब प्रियंका के आने के बाद यहां का यह मिथक टूट जायेगा। कांग्रेस के अब अच्छे दिन आ रहा है।
सं प्रदीप
वार्ता
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