भारतPosted at: Nov 19 2017 10:13PM इंदिरा ने राष्ट्रहित में चुने थे कठिन विकल्प : प्रणव
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (वार्ता) पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को असाधारण साहस का धनी बताते हुए आज कहा कि उन्होंने देश के हित में उन राजनीतिक विकल्पों को चुना जो एक सशक्त और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए अनिवार्य थे।
श्री मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री की जन्मशती पर यहां आयोजित विशेष फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि जबरदस्त विरोध के बावजूद उन्होंने देश की मजबूती के लिए प्रीवी पर्स को समाप्त करने तथा 14 वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने जैसे कठोर निर्णय लिये। उन्होंने कहा कि समाजवाद उनके लिए राष्ट्रीय प्रतिद्धता थी और बैंकों का राष्ट्रीयकरण महज एक सुधारवादी कदम था। हालांकि इन निर्णयों के कारण उन्हें पार्टी के भीतर भी विरोध का सामना करना पड़ा।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री चुने जाने के बावजूद उन्होंने महसूस किया कि पार्टी गहरे संकट में है। उनकी यह आशंका सही निकली और कांग्रेस बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में चुनाव हार गयी। कुछ ही समय बाद कांग्रेस विधायकों की बगावत के कारण उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में कांग्रेस को सरकारें गंवानी पड़ी। कई महत्वपूर्ण नेता अपने संसदीय क्षेत्रों में चुनाव हार गए तो उन्होंने महसूस किया किया कि पार्टी पर लोगों का विश्वास टूट गया है।
उन्होंने कहा कि इन विपरीत परिस्थितियों के बीच जबरदस्त साहस का परिचय देते हुए श्रीमती गांधी ने पार्टी को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया और इसके लिए आर्थिक सुधारों नीति बनायी लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों ने बहुमत से इसे नकार दिया। इसके बावजूद वह अपने निर्णय पर अटल रहीं और कड़े कदम उठाने से नहीं चूकीं। तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने उनकी नीतियों के विरोध में इस्तीफे की पेशकश की तो उन्होंने उसे तत्काल स्वीकार कर लिया और खुद वित्त मंत्री के रूप में देश की कमान संभाली।
अभिनव सचिन
वार्ता