नयी दिल्ली 23 मई (वार्ता) पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज कहा कि भारत और पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आक्रामक रुख अपनाने की बजाय विभिन्न स्तरों पर संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए और इसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भी शामिल करना चाहिए।
श्री सिन्हा ने यहां गुप्तचर ब्यूरो एवं रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व मुखिया ए. एस. दुल्लत, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी और पत्रकार आदित्य सिन्हा की किताब ‘स्पाई क्रोनिकल्स, रॉ, अाईएसआई एंड दि इल्यूज़न ऑफ पीस’ के विमाेचन अवसर पर एक परिचर्चा में यह बात कही। इस परिचर्चा में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, श्री दुल्लत, श्री सिन्हा और वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त शामिल थीं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पाकिस्तान को ‘मुंहतोड़ जवाब’ देने की नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि एेसी रणनीति ‘विवेकहीन’ है। उन्होंने भारत एवं पाकिस्तान के बीच विभिन्न स्तराें पर संवाद बहाल करने और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से भी बात करने की पैरोकारी की। श्री सिन्हा ने कहा, “यह मुंहतोड़ जवाब क्या होता है।.... यह बाहुबल की रणनीति विवेकहीन रणनीति है, क्योंकि बाज़ुओं में दिमाग नहीं होता।” उन्होंने कहा कि उनके विचार में केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर के लोगों के बीच मसला है और इसे समझकर पक्षकार लोगों से बात की जानी चाहिए, जो सार्थक एवं समयबद्ध होनी चाहिए। लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच विभिन्न स्तरों पर संवाद की बहाली की जानी चाहिए और शिखर वार्ता से बचना चाहिए, क्योंकि शिखर वार्ता का बहुत प्रचार होता है और उसकी विफलता की संभावना अधिक रहती है। निचले स्तर की बातचीत में दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों को भी जोड़ा जाना चाहिए, लेकिन यह सब पर्दे के पीछे से किया जाए और आैपचारिक बातचीत विदेश मंत्रालयों के बीच संयुक्त सचिव स्तर पर होना चाहिए।
सचिन सुरेश
जारी वार्ता