नयी दिल्ली, 07 सितंबर(वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने देश में संयुक्त परिवार संस्कृति को बनाए रखने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि बुजुर्गों की भावनात्मक जरूरतों को पूरा किए जाने के लिए यह काफी जरूरी है
श्री सिंह ने आज यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ‘ इन्टरनेशनल जेरीऐट्रिक ऑथोपेडिक सोसायटी ऑफ इंडिया के छठे सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश में संयुक्त परिवार का चलन समाप्त होने से बूढ़े लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याअों में इजाफा हुआ है।
इस अवसर पर गृह मंत्री ने ग्रामीण और गरीब लोगों के लाभ के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना की सराहना की। इस योजना के अंतर्गत सरकार गरीबों, जरूरतमंद लोगों तथा उनके परिवारों और विशेषकर वृद्धजनों के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा के साथ किफायती स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करेगी। देश में संयुक्त परिवार संस्कृति के विघटन के कारण वृद्धजनों की बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि यह योजना ऐसे वृद्धजनों की स्वास्थ्य समस्याओं की देखभाल करेगी। उन्होंने कहा कि हमें संयुक्त परिवार की संस्कृति बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि वृद्धजनों को शारीरिक देखभाल के अतिरिक्त भावनात्मक देखभाल की जरूरत होती है।
गृह मंत्री ने वृद्धजनों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ऐसे आयोजन के लिए जेरीऐट्रिक ऑर्थोपेडिक सोसायटी ऑफ इंडिया के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन के विचार-विमर्श से सहभागियों और सामान्य लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास जरूरतमंद लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के सरकार के गंभीर प्रयासों की दिशा में है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि देश में वृद्धजनों की आबादी बढ़ रही है। यह आबादी 2050 तक 30 करोड़ हो जाएगी इसलिये उनकी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार पूरे देश में 1,50,000 स्वास्थ्य केन्द्र तथा उप-केन्द्र स्थापित करेगी।
जितेन्द्र
वार्ता