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भारत


श्री नायडू ने कहा कि भले ही हमारी भाषाएँ अलग-अलग हों, इन्हें बोलने वाले लोग देश के अलग-अलग भागों में रहते हों, पर ये सभी भाषाएँ भावनात्मक रूप से हमारी साझी धरोहर हैं। इससे हमारी राष्‍ट्रीय एकता और मजबूत होगी तथा भारत की विविध संस्‍कृति को बेहतर रूप में अभिव्‍यक्‍त किया जा सकेगा।
उन्होंने हिंदी के विषय में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विचारों का उल्लेख करते हुये कहा कि बापू ‘स्वदेशी’ पर बहुत ज़ोर दिया करते थे। स्वदेशी की यह सोच आज भी उपयोगी और प्रासंगिक है। उन्होंने हिंदी को भारतीय चिंतनधारा का स्वाभाविक विकास क्रम माना था। हिंदी भाषा का प्रश्न उनके लिए स्वराज्य का प्रश्न था।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंदी भाषा हमारी सबसे बड़ी, सबसे मज़बूत, सबसे अधिक प्रभावशाली तथा अनमोल धरोहर है। भूमंडलीकरण के कारण पूरे विश्‍व में तेजी से बदलते आर्थिक एवं वित्‍तीय परिवेश में वैश्‍विक स्‍तर पर हिंदी की गूँज रही है। हिंदी विश्‍व बाज़ार के लिए एक प्रभावशाली और ताकतवर भाषा बन कर उभरी है।
उन्होंने कहा कि हिंदी का महत्त्व हमारे संविधान निर्माताओं ने प्रारम्भ में ही स्वीकार कर लिया था जिसे अब सारे संसार ने भी मान लिया है। देश-विदेश के सैकडों विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में हिंदी की पढ़ाई होती है, ज्ञान-विज्ञान की मौलिक पुस्तकें हिंदी में भी लिखी जा रही हैं। आज हिंदी सोशल मीडिया और संचार माध्यमों की प्रमुख भाषा बन गई है, विशेष रूप से हिंदी कमेंटरी वाले टीवी चैनल शुरू हो रहे हैं। निजी और सरकारी क्षेत्र की देशी-विदेशी आईटी एवं व्यावसायिक कम्पनियाँ भारत की ओर रुख करने के लिए हिंदी का महत्व स्वीकार कर रही हैं।
श्री नायडू ने कहा कि पर्यटन, विज्ञान, वाणिज्य, व्यापार और मीडिया जैसे हर क्षेत्र में हिंदी का महत्व बढ़ रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आई वर्तमान क्रांति, विशाल बाजारों की उपलब्‍धता, व्‍यापारिक अवरोधों की समाप्‍ति, प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश आदि से वैश्‍वीकरण में और भी तीव्रता आई है। हिंदी अपनी व्‍यापक पहुँच एवं लोकप्रियता तथा बाजार सम्‍मोहन क्षमता के चलते एक शक्‍तिशाली भाषा के रूप में स्‍थापित होने की राह पर अग्रसर है। बड़ी-बड़ी बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के लिए भारत में अपना व्‍यवसाय कामयाब बनाने के लिए हिंदी का सहारा लेना व्‍यावसायिक मजबूरी है। मीडिया एवं विज्ञापनों से भी हिंदी का बाजारीकरण हो रहा है।
इस मौके पर उन्होंने हिंदी सीखने के लिए ‘लीला हिंदी प्रवाह’ ऐप लॉन्च किया तथा स्मृति आधारित ऑनलाइन हिंदी अनुवाद टूल ‘कंठस्थ’ का उद्घाटन किया।
अजीत अरुण
वार्ता
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