नयी दिल्ली 20 सितम्बर (वार्ता) बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित तीन दिवसीय संवाद को भारतीय जनता पार्टी सरकार की विफलताओं और भ्रष्टाचार से ध्यान बाँटने का प्रयास करार दिया तथा कहा कि संघ और भाजपा की सोच दलित, पिछड़ा वर्ग तथा मुस्लिम विरोधी है और उसके शासन में इन वर्गों की आजादी खतरे में पड़ गयी है।
सुश्री मायावाती ने गुरुवार को यहाँ जारी एक बयान में कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र एवं राज्य सरकारें गरीब, मजदूर तथा किसान विरोधी एजेंडे पर चलकर बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुँचा रही है जिससे देश भर में भाजपा के खिलाफ आक्रोश है। आरएसएस भी भाजपा के विरुद्ध बने माहौल से चिंतित है और इसी वजह से उसने संवाद कार्यक्रम आयोजित कर ध्यान बाँटने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस ने भाजपा की जीत के लिए सब कुछ दाँव पर लगा दिया है, लेकिन पूरा देश जानता है कि आरएसएस दलित, पिछड़ा और मुस्लिम विरोधी है तथा उसके शासन में इन वर्गों के लोगों का मजहब, जान माल और जीने की आजादी खतरे में है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि आरएसएस का यह कहना गलत है कि अगर मुसलमान खुद जन्मभूमि पर मंदिर बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठ रही अंगुलियां खुद ही झुक जायेंगी। उन्होंने कहा कि संघ मूलत: संविधान विरोधी है और उसके तथा मुसलमानों के बीच रिश्ते सुधर नहीं सकते हैं।
तीन तलाक के मुद्दे पर अध्यादेश लाने को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह के मुद्दों पर भी स्वार्थ की राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर अध्यादेश लाने से साफ हो गया है कि मोदी सरकार अड़ियल और अपरिपक्व है तथा तीन तलाक के साथ ही नोटबंदी एवं जीएसटी का क्रियान्वयन उसकी इसी अपरिपक्वता का परिणाम है।
अभिनव अजीत
वार्ता