नयी दिल्ली 12 जनवरी (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी महागठबंधन के प्रयासाें को दुश्मनों एवं विरोधियों का गठबंधन करार देते हुये आज कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व, सरकार के प्रदर्शन एवं विचारधारा का मुकाबला करने का अंतिम तर्क गठबंधन की संख्या में ही खोज रहा है।
श्री जेटली ने आज यहाँ रामलीला मैदान में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि कोई भी चुनाव सौ-पचास मुद्दों पर नहीं लड़ा जाता है। प्रचार-अभियान के साथ पाँच-छह मुद्दों को प्राथमिकता मिलती है। इस बार के चुनाव में भी ऐसी ही पाँच-छह बातें हैं जिन पर कार्यकर्ताओं को ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि चुनाव का पहला मुद्दा होगा कि देश का नेतृत्व किसके हाथ में जायेगा। भाजपा कार्यकर्ता ठान लें कि इस बार बहस का मुख्य मुद्दा यही होगा और कोई ताकत नहीं है जो हमें हरा दे।
उन्होंने कहा कि पाँच साल के प्रदर्शन, राफेल के साैदे पर कांग्रेस अध्यक्ष के झूठ, उद्योगपतियों के ऋण माफ करने का झूठ, तीन तलाक, राममंदिर और माओवाद पर आक्रामकता से खुलकर बात करने की जरूरत है। हमारा सौभाग्य है कि हमारे पास श्री मोदी के जैसा नेतृत्व है। जहाँ तक विपक्ष के नेतृत्व का प्रश्न है तो चाहे बंगाल की दीदी हों, उत्तर प्रदेश की बहनजी या अन्य कोई, सबके दिल में इच्छा है। चुनाव के बाद सबकी तलवारें निकलेंगी। लेकिन, आज सामने आकर कुछ कहने की हिम्मत नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि श्री मोदी को इतनी ताकत देश के सामने प्रामाणिकता से काम करने की क्षमता और राजनीतिक दृष्टि से ईमानदारी से सरकार चलाने से आयी है। उनके नेतृत्व की विश्वसनीयता, ईमानदारी, परखा गया नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता अन्य राजनीतिक नेताओं से बहुत आगे है।
उन्होंने कहा कि पाँच साल के प्रदर्शन को देखें तो ऐसी कोई सरकार नहीं अायी जिसके कार्यकाल में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना। राफेल के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कह दिया कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ। 20 प्रतिशत सस्ता विमान खरीदा गया है। संसद में बहस पर ऐसी पराजय हुई कि कांग्र्रेस के नेता कहने लगे कि वह समझ नहीं सके। इसी प्रकार से कह रहे हैं कि उद्योगपतियों का ढाई लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ कर दिया हमने कहा कि एक रुपया भी माफ नहीं किया है और कांग्रेस ने जिनको ऋण दिया था, उसे हम बाहर से वापस ला रहे हैं।
श्री जेटली ने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व, सरकार के प्रदर्शन एवं विचारधारा का मुकाबला करने के लिए गठबंधन के आँकड़े का अंतिम तर्क दे रहे हैं। उनका गठबंधन दुश्मनों का और परस्पर विरोधियों का गठबंधन है जिसका न कोई विचार है और न कोई वोट है। नेतृत्व के उद्देश्य का कोई मेल भी नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि पुराने अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, वी पी सिंह, एच डी देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल कुछ माह तक ही सरकार चला पाये। विपक्ष को गठबंधनों की मजबूर सरकार बनाम मजबूत सरकार के तर्क का जवाब देना होगा।
उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव गठबंधन के गणित पर नहीं होगा। देश के मानस ने एक बार जिसे प्रधानमंत्री स्वीकार कर लिया उसके लिए हर आँकड़ा अनुकूल हो जाता है। पिछले चुनाव में देश ने श्री मोदी को प्रधानमंत्री स्वीकार कर लिया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में तब 22 दल थे, अब 35 साथी दल हैं। मतदाताओं को जोड़ने के लिए मज़बूत संगठन है। उन्होंने कहा कि पिछली बार हमने 282 सीटें हासिल की थीं, इस बार हम उस संख्या को भी पार करेंगे। उन्होंने कहा कि गरीबों तथा आम आदमी की उम्मीदें बढ़ीं हैं और लोग इस बात को समझते हैं कि इन बेमेल गठजोड़ों से अहित हो सकता है।
सचिन अजीत
वार्ता