नयी दिल्ली, 22 जनवरी (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने केरल के सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिये जाने संबंधी फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिकाओं की त्वरित सुनवाई के लिए तारीख मुकर्रर करने से मंगलवार को इन्कार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के 28 सितम्बर 2018 के फैसले की पुनरीक्षण याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई इस माह संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति गोगोई ने यह बात उस वक्त कही, जब वकील मैथ्यू नेदुमपारा ने इस मामले का विशेष उल्लेख पीठ के समक्ष किया। उन्होंने कहा, “इस मामले में फैसला सुनाने वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ की एक सदस्य न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा 30 जनवरी तक चिकित्सा अवकाश पर हैं, इसलिए इस माह इन पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई संभव नहीं है।” उन्होंने कहा कि जब न्यायमूर्ति मल्होत्रा काम पर लौट आयेंगी तभी सुनवाई की नयी तारीख मुकर्रर की जायेगी।
मुख्य न्यायाधीश ने गत 15 जनवरी को ही इस बात के संकेत दे दिये थे। उस दिन भी उन्होंने कहा था कि संबंधित पीठ 22 जनवरी को उपलब्ध नहीं हो सकेगी, क्योंकि न्यायमूर्ति मल्होत्रा चिकित्सा अवकाश पर हैं।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत सबरीमला मंदिर से संबंधित 28 सितम्बर 2018 के अपने फैसले की समीक्षा से संबंधित 49 याचिकाओं की सुनवाई को तैयार हो गयी है। इन पुनर्विचार याचिकाओं को आज सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति गोगोई और न्यायमूर्ति मल्होत्रा के अलावा न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सबरीमला के अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी है। इससे पहले 10 से 50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी।
सुरेश.संजय
वार्ता