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भारत


विकासशील देशों का डब्ल्यूटीओ को ज्यादा प्रासंगिक बनाने पर जोर

नयी दिल्ली 14 मई (वार्ता) भारत और चीन सहित कई विकासशील और अल्पविकसित देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को और ज्यादा प्रासंगिक बनाने पर जोर देते हुए इसकी विवाद निपटान प्रणाली मजबूत करने, निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और वैश्विक बाजार में सभी को समान अवसर उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्याेग सचिव अनूप वधावन ने मंगलवार को यहां डब्ल्यूटीओ की दो दिवसीय मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में एक दस्तावेज जारी करते हुए कहा कि भारत की पहल पर आयोजित की गयी इस बैठक को जबरदस्त सफलता मिली है। बैठक में डब्ल्यूटीओ के 24 सदस्य देशों को आमंत्रित किया गया था जिसमें से 22 ने हिस्सेदारी और बैठक के बाद तैयार किये गये दस्तावेज पर 17 देशों ने हस्ताक्षर किये। उन्होेंने कहा कि बाकी पांच देशों में से दो देशों के अधिकारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत नहीं थे और तीन ने तकनीकी कारणों से हस्ताक्षर नहीं किये।
उन्होंने कहा कि दस्तावेज को तैयार करने में सभी देशों का योगदान रहा और इसमें शामिल किये सभी मुद्दों पर उनकी सहमति रही। इनमें से अधिक देश किसी समूह को नेतृत्व करते हैं और इनमें पूरे विश्व का प्रतिनधित्व है। दस्तावेज पर भारत और चीन के अलावा मिस्र, बारबाडोस, सेंट्रल अफ्रीका, नाईजीरिया, जमैका, सऊदी अरब, मलेशिया, बंगलादेश, बेनिन, चाड, इंडोनेशिया, मलावी, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा और ओमान ने हस्ताक्षर किये। तुर्की, अर्जेंटीना और ब्राजील ने तकनीकी कारणाें से इसपर हस्ताक्षर नहीं किये।
श्री वाधवन ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले सभी देशों ने डब्ल्यूटीओ को मजबूत करने और इसे और ज्यादा प्रासंगिक बनाने पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान संस्था में रिक्त पदों को जल्दी से जल्दी भरा जाना चाहिए और इसमें सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सदस्य देशों ने डब्ल्यूटीओ के तहत बहु स्तरीय व्यापार प्रणाली काे मजबूत करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की।
सत्या संजीव
जारी वार्ता
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