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भारत


मोदी ने मन की बात में की प्रेमचन्द की कहानियों की तारीफ

नयी दिल्ली, 30 जून (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में हिन्दी के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचन्द का उल्लेख करते हुए लोगों से अपने दैनिक जीवन में किताबें पढ़ने की आदत डालने का आह्वान किया।
श्री मोदी ने इस कार्यक्रम में प्रेमचन्द की तीन मशहूर कहानियों ईदगाह, नशा और पूस की रात का जिक्र किया और उन कहानियों में व्यक्त संवेदना की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोग दैनिक जीवन में किताबें पढ़कर उनमें से जो अच्छा लेगे उसे नरेन्द्र मोदी एप्प पर भी लिखें ताकि मन की बात के शेयर श्रोता उसके बारे में जानें।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने कई बार मेरे मुहँ से सुना होगा, ‘बूके नहीं बुक’, मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं। तब से काफ़ी जगह लोग किताबें देने लगे हैं। मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियाँ’ नाम की पुस्तक दी। मुझे बहुत अच्छा लगा। हालांकि, बहुत समय तो नहीं मिल पाया, लेकिन प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियाँ को फिर से पढ़ने का मौका मिल गया। प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है। उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है। सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियाँ मेरे मन को भी छू गई। उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है।”
उन्होंने कहा ,‘जब मैं उनकी लिखी ‘नशा’ नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया। मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी। जमींदार के बेटे ईश्वरी और ग़रीब परिवार के बीर की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है। दूसरी कहानी, जिसने मेरे दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ‘ईदगाह’, एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव। चार-पांच साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुँचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुँच जाती है। इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, “बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था – बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी।”
अरविन्द, उप्रेती
जारी वार्ता
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