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भारत


हिन्द प्रशांत सागर के बार में सुश्री यान्यी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सिंगापुर में शांगरीला डायलॉग में व्यक्त भारत के रुख का समर्थन किया और कहा कि यह सहयोग चुनींदा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भारत की गतिविधि उनकी एक्ट ईस्ट नीति के कारण है। आसियान केन्द्रित विकास की पहल है।प्रोफेसर झू फेंग ने कहा कि आज की सच्चाई यह है कि विश्व व्यवस्था नियम आधारित नहीं बल्कि बल आधारित है। दक्षिण चीन सागर को अमेरिका ने चीन पर अपने वर्चस्व का अखाड़ा बना दिया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र नौवहन की वकालत उसके नौसैनिक बेड़े के लिए है। अमेरिका इस क्षेत्र में भय की भावना को बढ़ाने में लगा है। उन्होंने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भारत अमेरिका जापान आस्ट्रेलिया के चतुष्कोणीय गठजोड़ (क्वॉड) के बारे में चीन का दृष्टिकोण पूछे जाने पर कहा कि चीन मानता है कि किसी को हाशिये पर लाने या परिदृश्य से बाहर करने का खेल नहीं किया जाना चाहिए।
भारत में मोबाइल संचार की 5जी तकनीक के परीक्षण में चीनी कंपनी हुआवी की भागीदारी के बारे में चर्चा करते हुए सुश्री यान्यी ने कहा कि भारत को इस बारे में स्वतंत्र निर्णय लेना चाहिए। हुआवी ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में दुनिया की तमाम कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। चीन का मानना है कि इस बारे में कोई एकाधिकार नहीं होना चाहिए। 5 जी तकनीक भारत के डिजीटल अर्थव्यवस्था बनने के सपने को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। हुआवी से सुरक्षा को कोई खतरा है एेसा कोई प्रमाण नहीं है। भारत सरकार को इस बारे में समान हितों के लिए स्वतंत्र निर्णय लेना चाहिए।
बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के बारे में दुनिया में व्याप्त आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,“ यह परियोजना दुनिया के तमाम देशों में औद्योगिक प्रगति और रोज़गार बढ़ाने के लिए है। जिन देशों में कर्ज़ के दुष्चक्र की बात कही जा रही है। तो हम कहना चाहेंगे कि कर्ज़ एक जटिल प्रक्रिया है। चीन आधारभूत ढांचा क्षेत्र में काम करता है। हवाईअड्डे, बंदरगाह, सड़क, रेलवे, बड़ी इमारतें आदि के क्षेत्र में। जिन सरकारों की आर्थिक स्थिति खराब है और कर्ज़ चुकाने में दिक्कत होने पर चीन की सरकार दबाव नहीं डालती है।
सचिन आशा
वार्ता
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