नयी दिल्ली, 31 अगस्त (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फिट इंडिया अभियान शुरू करने के एक दिन बाद संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने आज यहां हुमायूं के मकबरे में सुबह सैर की।
इस मौके पर उन्होंने मकबरे के नीला गुम्बद में आम जनता के प्रवेश का शुभारंभ भी किया।
श्री पटेल ने कहा कि ‘फिटनैस ’ भारतीय संस्कृति और विरासत का हिस्सा है और रोजमर्रा के जीवन में बेहतर स्वास्थ्य के लिए सभी को योग, कसरत और पैदल चलना चाहिए। उन्होंने कहा ‘तंदुरूस्ती हजार नियामत’ है और स्वस्थ शरीर ही हम भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। ‘फिट इंडिया अभियान’ को जन आंदोलन बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने सभी नागरिकों से इसमें शामिल होने को कहा।
नीला गुम्बद मुगल काल की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है और इसे 1530 में बनाया गया था। नीले गुम्बद को यमुना में एक द्वीप पर बनाया गया था, और बाद में 1569-70 में जब हुमायूं के मकबरे का निर्माण किया गया तो इसे और आसपास की अन्य संरचनाओं को परिसर में शामिल कर लिया गया था। नीला गुम्बद को गुम्बद में लगी नीले रंग की टाइलों के कारण यह नाम दिया गया था। आम जनता अब हुमायूँ के मकबरा परिसर के अंदर से इस तक पहुंच सकती है।
नीला गुम्बद के उद्यान के उत्तरी भाग को 19 वीं शताब्दी में रेलवे लाइन के निर्माण के लिए ले लिया गया था। स्मारक इसके साथ ही लगा हुआ है। बाद में 1980 में, हुमायूं के मकबरे से नीला गुम्बद को अलग करते हुए एक सड़क बना दी गई और इस पर 200 से अधिक झुग्गियों के साथ एक अवैध बस्ती का निर्माण होने के साथ ही नीला गुम्बद पर कब्जा हो गया।
इसकी चमक-दमक वापस लाने के लिए, सबसे पहले रेलवे के साथ समझौते के अनुसार, अवैध बस्ती के निवासियों को दोबारा बसाया गया। स्मारक को हुमायूं के मकबरे से अलग करने वाली सड़क को स्थानांतरित किया गया ताकि हुमायूँ के मकबरे से नीला गुम्बद तक पहुंचा जा सके। पिछले 5 वर्षों में इसके आसपास प्राकृतिक दृश्य को बहाल किया गया और एक वैकल्पिक सड़क बनाई गई। इसके अलावा ईंट जैसी 15000 टाइलों के गायब होने से गुम्बद की भव्यता पूरी तरह से समाप्त हो गई थी। स्मारक की चमक-दमक वापस लाने के लिए, हुमायूँ के मकबरे के परिसर में भट्ठे स्थापित किए गए, हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती के युवाओं को नियुक्त किया गया, और खोई हुई शिल्प परंपरा को पुनर्जीवित किया गया।
गुम्बद की छत की ज्यामितीय और कलात्मक रचनाएँ जो वर्षों से सफेदी और सीमेंट की अनेक परतों के नीचे छिप गई थी, वह अब दिखाई दे रही हैं और पर्दानुमा बलुआ पत्थर की जालियों को फिर से लगाया गया। मकबरे के संरक्षण का कार्य आगा खां ट्रस्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से किया। वर्ष 2017 में, यूनेस्को ने हुमायूं के मकबरे के विस्तारित विरासत स्थल के हिस्से के तहत नीला गुम्बद को वैश्विक धरोहर घोषित किया था।
संजीव
वार्ता