नयी दिल्ली 16 सितंबर (वार्ता) सरकार दक्षिण एशियाई देशों के छात्रों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में पीएचडी के लिए दाखिले वास्ते एक हज़ार फ़ैलोशिप देगी। ये फैलोशिप पांच वर्ष के दौरान तीन चरणों में प्रदान की जाएंगी।
विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने आज यहां विदेश मंत्रालय में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में इस फ़ैलोशिप का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर आसियान के दस सदस्य देशों के राजदूत, उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यम, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी रामगाेपाल राव और विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय सिंह ठाकुर मौजूद थीं।
इस अवसर पर श्री निशंक ने कहा कि देश के 23 आई आई टी में पीएचडी के दाखिले के लिए ये फ़ेलोशिप इन देशों के छात्रों को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस फ़ेलोशिप कार्यक्रम पर 300 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे और एशिया ई देशों के साथ यह अब तक का सबसे बड़ा शिक्षा कार्यक्रम है। उन्होंने आसियान देशों के राजदूतों से मुखातिब होकर कहा, “हम अापके बच्चों को हीरे की तरह तराश कर दे देंगे।”
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत एवं आसियान देशों के बीच संबंधों में ज्ञान एवं शिक्षा बुनियादी तत्व रहा है और आधुनिक युग में भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ज्ञान का आदान प्रदान हमारे संबंधों को आगे ले जाएगा। उन्होंने बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, लक्षित दवाएं, आधुनिक विनिर्माण प्रौद्योगिकी आदि में शोध एवं अनुसंधान में दोनों पक्ष मिल कर काम करेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जनवरी 2018 को नयी दिल्ली में 25वें भारत आसियान सम्मेलन में इन देशों के छात्रों के लिए एक हज़ार फ़ैलोशिप देने की घोषणा की थी। डॉ निशंक ने बताया कि ये फ़ेलोशिप तीन चरणों मे दी जाएगी और पहला बैच जनवरी 2020 में दाखिला पायेगा। इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 में ये दाखिले दिए जाएंगे।
अरविन्द सचिन
वार्ता