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भारत


सार्वजनिक क्षेत्र को कब्रगाह बना रहे संघ और मोदी :अनजान

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (वार्ता) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार ‘अनजान’ ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर नरेंद्र मोदी की सरकार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ देना चाहती है इसलिए पिछले छह वर्षों से भारत के सार्वजनिक उद्योगों को लगातार कमजोर किया जा रहा है।
श्री अनजान ने आज एक बयान जारी करके कहा कि कांग्रेस सरकार के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वदेशी का नारा लगाता था और विदेशी आयात पर चित्कार करता था। स्वदेशी जागरण मंच का गठन करके देशभर में जनसभाएं और प्रदर्शन करता था। भारतीय जनता पार्टी के नेता इन प्रदर्शनों की अगुवाई करते थे मगर पिछले छह साल से स्वदेशी जागरण मंच कहीं दिखाई नहीं पड़ रही। देश का निर्यात 2020 में 15.9 मिलियन डॉलर घट गया। चीन से हमारा आयात पिछले पांच वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़ गया। हवाई चप्पल से लेकर आंगन में कपड़ा सुखाने की रस्सी तक चीन से आने लगी। देश के छोटे, मझोले कारोबार सहित हस्तकला उद्योग कब्रगाह में बदल गए। स्वदेशी जागरण मंच ,आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "विदेशी बुलाओ--देसी अर्थव्यवस्था बचाओ" का नारा लगाकर तथाकथित आर्थिक विकास की कहानी का गुणगान कर रहे हैं। वास्तविकता में अर्थव्यवस्था गंभीर दलदल में फंस गई है। इस डर से संसद में चर्चा से बचने के लिए प्रधानमंत्री संसद के सत्र को छोटा करते चले जा रहे हैं।हद तो तब हो गई कि इस वर्ष शीतकालीन सत्र नहीं हो सका। बजट सत्र में लिखित बजट की कॉपी भी देश से आंख चुराने के लिए नहीं पेश की जाएगी। करोना काल में बिना मास्क पहने प्रधानमंत्री सामाजिक दूरी न बनाते हुए चिपक-चिपक कर बैठे लोगों की जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। विशाल संसद के केंद्रीय कक्ष में जहां पांच मीटर की दूरी बनाई जा सकती है कोरोना का भय दिखाकर संसद की कार्यवाही को छोटा कर रहे हैं।
कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के तहत प्रधानमंत्री मजबूत अर्थव्यवस्था वाले सार्वजनिक क्षेत्र को कमजोर करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। जीवन बीमा निगम , सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की पूंजी को निजी कारपोरेट घरानों के हवाले करके उन्हें कमजोर कर दिया गया। देश के पांच बंदरगाह निजी हाथों में सौंप दिए गए। अब एक लाख करोड़ रुपए की जनता टैक्स पूंजी से निर्मित छह हवाई अड्डों को निजी हाथों में सौंप दिया गया है और अन्य को सौंपने की तैयारी हो रही है। किसानों की जमीनों पर भी तीन केंद्रीय कानून बनाकर खेती के कंपनीकरण की पूरी तैयारी की गई है जिसके विरोध में करोड़ों किसान देश में आंदोलनरत होकर संसद को बताने के लिए दिल्ली के बाहर दो महीने से मोर्चा लगाए हुए बैठे हैं।
भाकपा नेता ने सभी विपक्षी दलों से अपील की है कि संसद के आगामी बजट सत्र में किसान आंदोलन सहित सार्वजनिक क्षेत्र की बिक्री की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए संयुक्त रुप से पहल की जाए ताकि मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वदेशी के नारे के तहत विदेशी पूंजी के हवाले देश के उद्योगों को कब्रगाह बनने की साजिश का सबको पता चल सके।
आजाद आशा
वार्ता
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