नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (वार्ता) सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने शुक्रवार को कहा कि उसने नेटफ्लिक्स, ऑल्ट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के खिलाफ यौन सम्बंधित सामग्री प्रसारित करने के आरोप में कानूनी कार्यवाही शुरू की है।
फाउंडेशन के संस्थापक उदय माहुरकर ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने गेम्स ऑफ बॉलीवुड के संस्थापक संजीव नेवर और उच्चतम न्यायलय के अधिवक्ता विनीत जिंदल के साथ मिलकर इन चैनलों और डिजिटल मंचों पर परोसी जा रही अश्लील सामग्री से बढ़ते खतरों पर चर्चा भी की।
श्री माहुरकर ने कहा, “दिल्ली पुलिस ने नेटफ्लिक्स, ऑल्ट और एक के खिलाफ मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है, जबकि मुंबई पुलिस ने एकता कपूर और शोभा कपूर के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पीओसीएसओ) अधिनियम का उल्लंघन करने वाली सामग्री के लिए प्राथमिकी दर्ज की है। उन्होंने बताया कि इस शिकायत में जितेन्द्र कपूर, शोभा कपूर, और एकता आर. कपूर का नाम शामिल है क्योंकि वे ऑल्ट के प्रमोटर हैं।”
श्री माहुरकर ने इन प्लेटफॉर्म्स की आलोचना करते हुए कहा कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और हानिकारक सामग्री खुले तौर पर उपलब्ध हैं । उन्होंने कहा, “स्पष्ट सबूतों के बावजूद पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने के कारण मुझे न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।”
उन्होंने कहा कि एक्स पर पोर्नोग्राफी, नग्नता, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से जुड़ी यौन गतिविधि और जानवरों के साथ यौन क्रिया के वीडियो तक उपलब्ध हैं, ऑल्ट पर अनाचार और दुर्व्यवहार से जुड़े ग्राफिक दृश्य हैं, जो महिलाओं की छवि को नीचा दिखाते हैं और नेटफ्लिक्स भी ऐसे पोर्नोग्राफिक दृश्य स्ट्रीम कर रहा है, जो भारतीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
श्री माहुरकर ने कहा, “यह सामग्री न केवल नैतिक मुद्दा है, बल्कि यौन हिंसा को भड़का रही है और समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रही है। यह दुष्कर्म के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण है।”
उन्होंने बताया कि यौन विकृत सामग्री और पोर्नोग्राफी से नाबालिगों द्वारा दुष्कर्म जैसे घृणित अपराध सामने आ रहे हैं। पिछले तीन महीनों में सात मामले भाइयों द्वारा बहनों के साथ दुष्कर्म, दो मामले पिता द्वारा पुत्री का दुष्कर्म, और एक व्यक्ति द्वारा अपनी मां के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए हैं, जिनका संबंध पोर्नोग्राफी देखने से है।
अधिवक्ता जिंदल ने कहा, “इस तरह की सामग्री के सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होने से दुष्कर्म, छेड़छाड़ और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों जैसे अपराधों को बढ़ावा मिलता है। यह युवा और वृद्ध दोनों की मानसिकता को दूषित करता है और एक विषाक्त संस्कृति पैदा करता है, जो हिंसा को बढ़ावा देती है और मानवीय व्यवहार को विकृत करती है। तत्काल कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि यह समस्या और न बढ़े।”
श्री माहुरकर ने बताया कि सितंबर 2024 में फाउंडेशन ने एक जन सुनवाई का आयोजन किया, जिसमें 100 से अधिक पीड़ित और उनके परिवार यौन हिंसा की शिकायत लेकर आए और 200 से अधिक महिलाओं ने गवाही दी कि उनकी दुर्दशा का कारण इन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध अश्लील सामग्री रही है।
श्री नेवर ने कहा, “हम देख रहे हैं कि मनोरंजन के नाम पर हमारी सांस्कृतिक मूल्य समाप्त हो रही है। इस तरह की सामग्री न केवल व्यक्तियों बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक है।”
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड भी देश में स्थानीय पोर्न उद्योग को बढ़ावा दे रहा है। सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने अश्लील सामग्री का उत्पादन और प्रसारण करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
फाउंडेशन ने सरकार से सख्त कानून लाने का अनुरोध किया है, जिसमें 10-20 साल की सजा और कम से कम तीन साल तक जमानत न देने का प्रावधान हो।
समीक्षा, उप्रेती
वार्ता