नयी दिल्ली, 20 फरवरी (वार्ता) राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विश्व रैंकिंग में भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बहुत पीछे रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पिछले कुछ वर्षों के प्रयास के बाद देश के तीन शैक्षणिक संस्थान अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शीर्ष स्थानों पर पहुंच पाए हैं। श्री मुखर्जी ने आज यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) की स्थापना के नब्बे साल पूरे होने के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि जर्मनी दुनिया का इकलाैता ऐसा देश है, जो 2008 के वित्तीय संकट के दौर में इसलिए प्रभावित नहीं हुआ क्योंकि वहां शोध एवं अनुसंधान का मजबूत आधार था और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान थे। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के उच्च शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि यह संस्थान भारत जैसे एक उभरते देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा सम्बन्धी बुनियाद बनाता है और अर्थशास्त्र तथा व्यापार के क्षेत्र में पेशेवर तरीके से कौशल विकास भी करता है लेकिन इसे अभी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के नये मानदंड बनाने हैं। उन्होंने कहा कि आज हम अकादमिक जगत और उद्योग जगत के बीच सम्बन्धों को मजबूत करने की बात करते हैं लेकिन श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के संस्थापकों ने सौ साल पहले ही यह सोच लिया था कि शिक्षा के विकास के लिए शिक्षकों तथा छात्रों को उद्योग जगत से रिश्ता बनाना जरूरी है। श्री मुखर्जी ने यह भी कहा कि कक्षाओं को वास्तविक दुनिया की सच्चाइयों और जटिलताओं से भी रूबरू होना चाहिए। सैद्धांतिक या किताबी ज्ञान को जीवन की व्यावहारिक जरूरतों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज ने ऐसा युवा वर्ग तैयार किया है, जो उद्योग, व्यापार और आर्थिक प्रशासन की जरूरतों को पूरा कर सके। अरविंद, अजय, यामिनी वार्ता