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भारत


रेल पटरियां लौह एवं इस्पात उत्पादों की सूची से नहीं हटेंगी : समिति

नयी दिल्ली 28 जून (वार्ता) केंद्र सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने रेल की पटरियों को लौह एवं इस्पात उत्पादों की सूची से अलग करने की रेलवे की मांग ठुकरा दी है।
सरकारी खरीद में स्वदेशी लौह इस्पात उत्पादों को वरीयता देने की नीति से संबंधित मसले के निपटारे के लिए गठित समिति ने रेल मंत्रालय की मांग ठुकराते हुए कहा है कि रेल की पटरियां हालांकि जटिल और विशेष प्रक्रिया के तहत तैयार की जाती हैं, इसके बावजूद तय मानकों को पूरा करने वाली एक से अधिक स्वदेशी अथवा विदेशी कंपनियां होंगी, ऐसी स्थिति में पटरियों को लौह एवं इस्पात उत्पादों की सूची से हटाने का सवाल नहीं उठता।
देश में निर्मित लौह एवं इस्पात नीति (डीएमआईएंडएसपी) के संबंध में स्पष्टीकरण के लिए इस्पात सचिव के नेतृत्व में गठित समिति ने यह भी कहा है कि देश से बाहर बने विशेष श्रेणी के लौह एवं इस्पातों पर मिलने वाली छूट स्वत: मंजूर नहीं की जायेगी, बल्कि इसे समीक्षा के बाद ही मंजूरी दी जायेगी।
समिति ने कहा है, “छूट की मंजूरी स्वत: नहीं होगी। इस्पात मंत्रालय की स्थायी समिति ऐसे मामलों की समीक्षा करेगी और उसके बाद ही छूट को मंजूरी देगी।”
केंद्र सरकार ने नयी खरीद नीति की अधिसूचना गत आठ मई को जारी की थी और भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से यह नीति प्रभावी हो गई है। यह नीति घरेलू स्तर पर न्यूनतम 15 प्रतिशत के मूल्य संवर्धन वाली सरकारी खरीद में स्वदेशी लौह इस्पात उत्पादों को वरीयता देने का अधिकार देती है। प्रत्येक मंत्रालय या सरकार के विभाग तथा सभी एजेंसियां अपने प्रशासनिक नियंत्रण में डीएमआईएंडएसपी के दायरे में होंगी।
यह नीति 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक के लौह इस्पात उत्पादों की आपूर्ति में लागू होगी। इस नीति में ऐसी सभी तरह की खरीद को समाप्त करने का प्रावधान है जहां देश में निर्दिष्ट स्तर के इस्पात उत्पाद नहीं हुए है या जहां घरेलू स्रोतों के माध्यम से परियोजना मांग के अनुसार मात्रा पूरी नहीं की जा सकती।
केंद्र सरकार ने रेलवे सहित चार संगठनों की मांग के स्पष्टीकरण के लिए गत 14 जून को एक स्थायी समिति बनाई थी, ताकि संबंधित पक्षों की मांगों के स्पष्टीकरण दिये जा सकें। रेलवे के अलावा जिन तीन अन्य संगठनों ने स्पष्टीकरण मांगे थे उनमें ओएनजीसी लिमिटेड, भारतीय पाइप निर्माता महासंघ (आईपीएमए) तथा भारतीय सिमलेस ट्यूब निर्माता एसोसिएशन (एसटीएमएआई) शामिल हैं।
समिति ने गत 21 जून को पहली बैठक में चार संगठनों द्वारा उठाये गये विषयों के बारे में स्पष्टीकरण दिया है।
एसटीएमएआई के एक प्रश्न के उत्तर में समिति का कहना है, “संबंधित नीति के तहत सभी प्रकार की पाइपों एवं नल्लिकाओं (ट्यूब्स) को तैयार उत्पादों के तौर पर परिभाषित किया गया है। इसलिए वेल्डेड पाइपों को इनपुट मेटेरियल नहीं माना जा सकता। फलत: मल्टीस्टार्ट थ्रेड कनेक्टर्स की फिटिंग/वेल्डिंग जैसे कार्य को मूल्य संवर्धन के कार्यों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।”
सुरेश अजीत
वार्ता
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