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भुवनेश्वर में पूर्व-नौकरशाहों के बीच जंग

भुवनेश्वर में पूर्व-नौकरशाहों के बीच जंग

(अशोक टंडन से)

भुवनेश्वर 19 अप्रैल (वार्ता) ओडिशा की राजधानी एवं राज्य की हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट भुवनेश्वर की चुनावी रणभूमि में दो पूर्व नौकरशाहों के बीच जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है।

भुवनेश्वर में एक अदद जीत के लिए प्रयासरत भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी अपराजिता सारंगी को उम्मीदवार बनाया है। आईएएस के 1994 बैच की अधिकारी रही सुश्री सारंगी ने पिछले साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और नवम्बर में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। भाजपा में शामिल होने के बाद ही उन्होंने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया था। दूसरी तरफ इस सीट पर दो दशक से अजेय बीजू जनता दल (बीजद)ने भी जबरदस्त रणनीति का परिचय देते हुए पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी एवं मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक को अपना उम्मीदवार बनाया। मूलतः ओडिशा के पुरी जिले के डेलांगा निवासी और 1979 बैच के अधिकारी रहे श्री पटनायक सेवानिवृत्ति के बाद बीजद में शामिल हो गये थे।

इस सीट पर अब तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस ने सबसे अधिक आठ बार बाजी मारी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तीन बार चुनाव जीता है जबकि बीजद 1998 से लगातार पांच बार यहां से चुनाव जीत चुकी है। भाजपा का यहां अभी तक खाता नहीं खुल सका है। वर्ष 1977 के आम चुनाव के दौरान आपातकाल विरोधी लहर में जनता पार्टी की भुवनेश्वर में हार हुई थी और माकपा ने अपना सिक्का जमाया। यहां तक कि 2014 में मोदी लहर का भी भाजपा को यहां लाभ नहीं मिला । बीजद ने 1998 में भुवनेश्वर में अपनी जीत का झंडा गाड़ा था और अब तक उसका परचम लहरा रहा है।

बीजद की ओर से यहां श्री पटनायक की उम्मीदवारी स्थानीय नेताओं के लिए कम विस्मयपूर्ण नहीं रही। किसी को तनिक भी उम्मीद नहीं थी कि 1998 के बाद से अब तक बीजद के योद्धा रहे श्री प्रसन्ना कुमार पटसानी को जीत के संभावित छक्का मारने के मौके से वंचित कर दिया जायेगा लेकिन ओडिशा की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले बीजद सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने नये राजनीतिक दांव-पेंच का प्रयोग करते हुए सबको चौंका दिया ।

अपनी जीत को लेकर आश्वस्त सुश्री सारंगी का कहना है कि वह क्षेत्र की जनता के लिए अजनबी नहीं है और यहां की मूलभूत समस्याओं तथा मुद्दों से भली-भांति वाकिफ है। उनका कहना है कि क्षेत्र की जनता ने दो दशक से नवीन पटनायक सरकार को मौका दिया लेकिन अब जनता त्रस्त है और बदलाव के मूड में है ।

बीजद उम्मीदवार अरूप पटनायक की महाराष्ट्र में लोखंडवाला शूटआउट और मुंबई दंगा मामले को सुलझाने में विशेष भूमिका रही और वह मुंबई सिलसिलेवार विस्फोट मामले में जांच अधिकारी थे। उनका दावा है कि श्री पटनायक की राज्य के कोने-कोने ख्याति फैली हुई है। बीजद सरकार ने जनता के हितार्थ अनेक कदम उठाये हैं तथा आगे भी प्रतिबद्ध रहेगी और यही इस बार भी बीजद की जीत का आधार बनेगा।

मंदिरों की नगरी माने जाने भुवनेश्वर में सात विधानसभा सीटें जायदेव , भुवनेश्वर मध्य , भुवनेश्वर उत्तर , एकमारा भुवनेश्वर , जटनी , बेंगुनिया और खुर्दा है। वर्तमान में इन सभी सीटों पर बीजद का कब्जा है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 16,00,900 है । इनमें 8,64,256 पुरुष और 7,36,264 महिला मतदाता है। इसके अलावा किन्नर मतदाताओं की संख्या 381 है । यहां तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होगा।

बीजद और भाजपा उम्मीदवारों के साथ ही जनार्दन पति( माकपा) , शुभ्रांशु शेखर पाढ़ी(तृणमूल कांग्रेस) और ललित कुमार नायक(बहुजन समाज पार्टी) के अलावा अन्य दलों के एवं निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है लेकिन माकपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है। मुख्य मुकाबला बीजद और भाजपा के बीच है। यहां से बीजद के श्री अरूप पटनायक जीत हासिल करते हैं तो पार्टी का लगातार छह चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनेगा और भाजपा की सुश्री सारंगी चुनाव जीतती हैं तो भुवनेश्वर में भाजपा एक नया इतिहास रचेगी।

टंडन जय, यामिनी

वार्ता

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