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इटावा में पंचनदा को नहीं मिला प्रयागराज जैसा सम्मान

इटावा में पंचनदा को नहीं मिला प्रयागराज जैसा सम्मान

इटावा, 20 नवम्बर(वार्ता) उत्तर प्रदेश में कभी चंबल के कुख्यात डाकुओं के लिए मशहूर इटावा में पांच नदियों के संगम स्थल पर 22 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा पर लक्खी मेला लेगेगा। इस स्थल को प्रयागराज के त्रिवेणी संगम जैसा सम्मान अभी तक नहीं मिल पाया है।

       पांच नदियों का यह संगम जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बिठौली गांव स्थित है। यहां कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हर वर्ष लगने वाले मेले में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों श्रद्धालुओं का जमघट लगता है।

         विश्व में इटावा का पंचनदा ही एक स्थल है,जहां पर पांच नदियों का संगम हैं। इस स्थल पर यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज नदियां मिलती है। दुनिया में दो नदियों के संगम तो कई स्थानों पर होता है जबकि तीन नदियों के दुर्लभ संगम प्रयागराज को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि पांच नदियों के इस संगम स्थल को त्रिवेणी जैसा धार्मिक महत्व नहीं मिल पाया है।

      प्रयागराज का त्रिवेणी संगम पूर्णतः धार्मिक मान्यता पर आधारित है क्योंकि धर्मग्रन्थों में वहां पर गंगा, यमुना के अलावा अदृश्य सरस्वती नदी को भी स्वीकारा गया है। यह माना जाता है कि कभी सतह पर बहने वाली सरस्वती नदी अब भूमिगत हो गई है। तीसरी काल्पनिक नदी को मान्यता देते हुये त्रिवेणी संगम का जितना धार्मिक महत्व है उतना साक्षात पांच नदियों के संगम को प्राप्त नहीं हैं।

चकरनगर के उपजिलाधिकारी इंद्रजीत सिंह ने मंगलवार को यहां बताया कि अर्से से पांच नदियों के संगम स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था का मेला लगता आया है जिसकी तैयारियां पंचनदा समिति की ओर से की जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त पर समिति के सदस्यों से पूर्व की भांति विचार-विमर्श कर लिया गया है।

       उन्होंने बताया कि चंबल इलाके में काम करने की बहुत संभावनाए है। यहां प्राकृतिक आंनद का एहसास होता है। देश में चंबल जैसा दूसरा कोई हिस्सा नही है लेकिन संसाधन की बहुत समस्याए है, उनको दूर करने की कोशिश जारी है।

     पंचनदा समिति के प्रंबधक बापू सहेल सिंह परिहार ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर उत्तर प्रदेश के साथ साथ पडोसी मध्यप्रदेश और राजस्थान तक से लाखों की तादात मे श्रदालुओं के आने का सिलसिला देर रात से शुरू हो जाता है। इस लिहाज से सुरक्षा इंतजामो की बेहद जरूरत होती है।

     उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध किया गया है। जिस पर अधिकारियों ने पूर्व की भांति जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बंदोबस्त करने का भरोसा दिया है। उन्होंने बताया कि मेले की तैयारी पूरी कर ली गई है।

  चकरनगर के उपजिलाधिकारी इंद्रजीत सिंह ने मंगलवार को यहां बताया कि अर्से से पांच नदियों के संगम स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था का मेला लगता आया है जिसकी तैयारियां पंचनदा समिति की ओर से की जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त पर समिति के सदस्यों से पूर्व की भांति विचार-विमर्श कर लिया गया है।

       उन्होंने बताया कि चंबल इलाके में काम करने की बहुत संभावनाए है। यहां प्राकृतिक आंनद का एहसास होता है। देश में चंबल जैसा दूसरा कोई हिस्सा नही है लेकिन संसाधन की बहुत समस्याए है, उनको दूर करने की कोशिश जारी है।

     पंचनदा समिति के प्रंबधक बापू सहेल सिंह परिहार ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर उत्तर प्रदेश के साथ साथ पडोसी मध्यप्रदेश और राजस्थान तक से लाखों की तादात मे श्रदालुओं के आने का सिलसिला देर रात से शुरू हो जाता है। इस लिहाज से सुरक्षा इंतजामो की बेहद जरूरत होती है।

     उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध किया गया है। जिस पर अधिकारियों ने पूर्व की भांति जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बंदोबस्त करने का भरोसा दिया है। उन्होंने बताया कि मेले की तैयारी पूरी कर ली गई है।

 प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक जून को इटावा दौरे के अवसर पर चंबल के बीहडो मे स्थापित दुनिया के पांच नदियों के संगम पंचनदा को पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के ऐलान के बाद बीहडांचल में खुशी की लहर पैदा हुई है।

     अर्से से उपेक्षा के शिकार पंचनदा को लेकर किसी मुख्यमंत्री ने पहली दफा पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने का ऐलान कर क्षेत्र के लोगों को खुशलाही का एहसास कराया।

     पर्यटन विभाग पंचनदा को पयर्टन केंद्र के रूप में स्थापित करने की प्रकिया में तेजी से जुट गया है और तीन करोड 50 लाख रुपये से वहां पर घाट, मंदिर जीर्णाेद्धार, सैलानियों के लिए ठहरने का स्थान समेत अन्य सुविधाओं का कार्य कराया जाएगा।

     गौरतलब है कि पंचनदस बांध पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा था। वर्ष 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यमुना पट्टी के गांव सड़रापुर में बांध बनाने की घोषणा की थी।

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