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लोकरुचि


देवीपाटन में उमड़ने लगा है श्रद्धालुओं का रेला

देवीपाटन में उमड़ने लगा है श्रद्धालुओं का रेला

बलरामपुर 03 अप्रैल (वार्ता) देश के 51 शक्तिपीठों मे एक विश्वविख्यात आदि शक्ति माँ पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर मे बुधवार से ही देश विदेश से आये दर्शनार्थियों का रेला उमड़ने लगा है।


      शनिवार को चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस की भोर से ही माँ पाटेश्वरी के दिव्य दर्शन प्रारम्भ होते ही श्रद्धालु पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं मांगेंगे। नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर के भारत तुलसीपुर तहसील क्षेत्र के पाटन गांव मे सिरिया नदी के तट पर स्थित देवी पाटन मंदिर मे मुख्य रुप से माँ पाटेश्वरी की पुष्प ,नारियल ,चुनरी ,लौंग ,इलायची कपूर व अन्य पूजन सामग्रियां चढाकर पूजा अर्चना की जाती है। दूरदराज से आये देवीभक्त यहाँ स्थित सूर्य कुंड मे पवित्र स्नान कर पेट पलनिया चलकर माँ के दर्शन करते है।




     पौराणिक मान्याताओं के अनुसार पिता दक्ष प्रजापति के यहाँ आयोजित बड़े अनुष्ठान मे अपने पति इष्टदेव देवाधिदेव महादेव को न्योता और स्थान न दिये जाने से क्षुब्ध माँ जगदम्बा ने स्वयं को अग्नि को भेंट कर सती कर लिया था। माता के सती होने से आक्रोशित महादेव अत्यंत दुखी हुये और माता सती के शव को कंधे पर रखकर तांडव करने लगे। शिव तांडव से धरती थर्राने लगी। इससे  संसार मे व्यवधान उत्पन्न होने लगा। संसार को विनाश से बचाने के लिये भगवान विष्णु ने सती के अंगो को सुदर्शन चक्र से खण्डित कर इक्यावन स्थानों पर गिरा दिया जिन जिन स्थानों पर माता के अंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ माने गये।



       मंदिर के महन्त योगी मिथलेश नाथ ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि मान्यताओं के अनुसार पाटन गांव मे माँ जगदम्बा का बांया स्कंद पाटम्बर समेत गिरा। तभी से इसी शक्तिपीठ को माँ पाटेश्वरी  देवी पाटन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहाँ एक गर्भगृह भी स्थित है जहाँ माता सीता का पाताल गमन हुआ था। नव दुर्गाओ माँ शैलपुत्री ,कुष्माडा ,स्कंदमाता, कालरात्रि ,महागौरी ,चंद्रघंटा ,सिद्धदात्री,ब्रह्म्चारिणीऔर कात्यायनी  की प्रतिमायें मंदिर मे स्थापित है।

श्री नाथ बताया कि मंदिर मे स्थित  गर्भगृह सुरंग पर माँ की प्रतिमा विद्यमान है। यहाँ कई रत्नजडित छत्र है। ताम्रपत्र पर दुर्गा सप्तशती अंकित है। मंदिर मे स्थापना काल से ‘अखंड ज्योति’ प्रज्जवलित है। यहाँ प्रमुख रुप से रोट का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

      पुजारी ने बताया कि नेपाल के दाँग चौधड के राजकुंवर रतन परीक्षक ने देवी पाटन कड़ी उपसना की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर माँ पाटेश्वरी ने बाबा रतन परीक्षक को आशीर्वाद दिया। तभी से उन्हे बाबा रतन नाथ के नाम से जाना जाने लगा। उन्होने नाथ सम्प्रदाय की स्थापना कर अफगानिस्तान ,नेपाल और कई देशों मे इसका प्रचार प्रसार किया। देवी पाटन मंदिर परिसर मे बाबा पीर रतन नाथ का दरीचा स्थित है।

     मान्यताओ के अनुसार ,महाभारत काल मे सूर्यपुत्र कर्ण ने मंदिर परिसर मे बने कुंड मे स्नान कर भगवान परशुराम से दीक्षा ली थी। तभी से इस कुंड का नाम सूर्य कुंड पड़ा। त्रेतायुग मे माता जानकी का पातालगमन भी यही हुआ उस स्थान को गर्भगृह कहा जाता है। मेले मे आने वाले देशी विदेशी श्रद्धालू मुण्डन ,कंछेदन ,नक्छेद्न ,विवाहरस्म,नामकरण संस्कार व अन्य रस्मों रिवाजों को हिंदू वैदिक रीति से कराते है। नवरात्रि के दिनो मे विशाल प्रसाद वितरण और भंडारे का आयोजन किया जाता है।

एक मास तक चलने वाले मेले में  महिलाएँ पुरुष और बच्चे तमाम प्रकार के श्रगार सामग्रियों से सजी दुकानों से खूब जमकर खरीददारी करते है। देवी पाटन मठ के मठाधीश बाबा योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने से देवीभक्त अति उत्साहित है।

     जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने बताया कि देवीपाटन मंदिर नेपाल सीमा से सटा होने के कारण अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण है।आतंकियों की टेढ़ी नज़र के मद्देनजर मंदिर परिसर को विशेष सुरक्षाब्यूह मे रखा गया है। यहाँ एस एस बी ,नागरिक पुलिस ,पी ए सी ,होम गार्ड ,महिला पुलिस की जवान व अन्य सुरक्षा एजेंसियां तैनात है।

       उन्होने बताया कि यहाँ मेटल डिटेक्टर ,बम निरोधक दस्ता , एंटी रोमियो स्क्वाड ,अग्निशमन दल ,सीसी टीवी कैमरे ,स्वान दल ,खुफिया तंत्र और अन्य सुरक्षा जवानो को चप्पे चप्पे पर तैनात किया गया है। साथ ही आवश्यक सुविधाओं से परिपूर्ण व्यवस्था की गयीं है। उन्होने बताया कि दूरदराज से आने वाले लाखों मेलार्थियो की भारी भीड़ के दृष्टिगत अतिरिक्त सरकारी बसें औऱ मेला स्पेशल रेलगाड़ियाँ चलायी जा रही है।

सं प्रदीप

वार्ता



 

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