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लोकरुचि


देवी पाटन मंदिर पहुंची बाबा पीर रतननाथ की शोभायात्रा

देवी पाटन मंदिर पहुंची बाबा पीर रतननाथ की शोभायात्रा

 


बलरामपुर 10 अप्रैल (वार्ता) नेपाल के दाँग चौधड़ से  पीर बाबा रतननाथ की शोभायात्रा परंपरागत  ढंग से  चैत्र नवरात्र के पंचमी के दिन बुधवार को आदि शक्ति पीठ देवीपाटन पहुँची।

    देवी पाटन मंदिर के महंत योगी मिथलेश नाथ के अनुसार ,पंचमी से नवमी तक शक्ति पीठ देवी पाटन मे माँ भगवती के पूजन-अर्चना का संपूर्ण दायित्व सिद्ध पीर रतननाथ के सुपुर्द कर दी गयी  है। इस दौरान विशेष अनुष्ठान कर मां भगवती का पूजन-अर्चन की जायेगी।  मंदिर मे स्थित बाबा पीर रतन नाथ के दरीचे का देश विदेश से आये देवी भक्त दर्शन कर रहे  है।

     विक्रम संवत 809 मे शुरू हुई नाथ सम्प्रदाय के पात्र देवता को सिद्ध पीर बाबा रतननाथ की शोभा यात्रा के साथ लाकर मंदिर मे पांच  दिवसीय पूजा की जाती है। भारत नेपाल मैत्री सम्बन्धों को और प्रगाढ़ करती इस शोभा यात्रा पर राष्ट्र विरोधी तत्वों की काली छाया के चलते दोनों देशों के सुरक्षा कर्मियों का कड़ा पहरा रहा।

    मान्यताओ के अनुसार ,नेपाल के दाग जिले के राजकुंवर रतन परीक्षक को काफी तपस्या करने के पश्चात माँ भगवती ने दर्शन दिये तभी से उनका नाम  बाबा रतननाथ पड़ा। उन्होंने नाथ सम्प्रदाय की स्थापना कर काबुल ,पाक ,नेपाल ,भूटान के अलावा  कई यूरोपीय और एशियाई देशों में नाथ सम्प्रदाय का प्रचार प्रसार कर विस्तार किया। उन्होंने विश्व भ्रमण करते समय मक्का मदीना में जाकर मोहम्मद साहब को भी ज्ञान दिया था। मोहम्मद साहब बाबा रतननाथ से प्रभावित हुए और उन्होने बाबा रतननाथ को पीर की उपाधि देकर सम्मानित किया। तब से इन्हें सिद्ध पीर बाबा रतननाथ के नाम से जाना जाता है।

नेपाल से पात्र देवता के साथ पैदल भारत आने में प्रतिनिधियों को नौ दिन का समय लगता हैद्य। सिद्ध पीर बाबा रतननाथ नेपाल राष्ट्र के दाग के राजा और गुरू गोरक्षनाथ के शिष्य और इन्होने ही शक्तिपीठ देवीपाटन का मढी का निर्माण कराया था।

    माँ पाटेश्वरी की पूजा के लिए बाबा प्रतिदिन दाँग से यहा आया करते थे। माता पाटेश्वरी के अनन्य भक्त बाबा रतननाथ सात सौ वर्षो तक जिन्दा रहे। गुरूगोरक्षनाथ ने बाबा रतनाथ को एक अमृत पात्र दिया था। सात सौ वर्षो से ये अमृत कलश चैत्र नवरात्र की पंचमी तिथि को बाबा रतननाथ के प्रतिनिधि के रूप में नेपाल के दांग से देवीपाटन लाया जाता है। भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ देवीपाटन दोनों देशों की धार्मिक और आध्यात्मिक ही नही बल्कि सांस्कृतिक सम्बन्धो की प्रगाढता को भी प्रदर्शित करता है।

     चैत्र नवरात्र में नेपाल से आने वाली बाबा रतननाथ की ऐतिहासिक शोभायात्रा दोनो देशों के बीच पौराणिक काल से चली आ रही धार्मिक और आध्यात्मिक परम्पराओ का निर्वहन करती है। यह यात्रा भारत और नेपाल के सदियों पुराने सम्बन्धो को ही नही दर्शाती जिसकी एक झलक पाने के लिए देश के कोने कोने से आए श्रद्धालु दूर से ही यात्रा मार्ग के दोनो तरफ फूल माला लेकर यात्रा की प्रतीक्षा करते रहते हैं।

सं भंडारी

वार्ता

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