शक्ति उपसकों का यह भी विश्वास है कि देवी दर्शन से संसारिक भव बाधायें दूर हो जाती हैं। इस शक्तिपीठ पर आये श्रद्धालु सावन माह मे गंगा स्नान करने के बाद कालेश्वर घाट पर पाण्डु पुत्र युधिष्ठर द्वारा स्थापित महाकालेश्वर शिवलिंग पर गंगा जल चढाकर पूजा अर्चना करते है। वहां से पुनः जल लेकर शीतला धाम पहुुंच कर देवी चरणों के समीप स्थित जलहरी (कुण्ड) भरते है और अपने मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए देवी के चरणों में माथा टेकते है । ध्वजा, पताका, नारियल, चदिया, बताषा, चुनरी आभूषण मां के चरणों में भेंटकर पुष्प मालाओं से देवी की पूजा अर्चना करते हैं। सावन मेले में श्रद्धालु अपने नवनिहालों को देवी धाम मे लाकर मुण्डन कराते है। उनके दीर्घायु एवं निरोगी होने की मां शीतला से कामना करते है। असाध्य रोगों से छुटकारा पाने के लिए सैकड़ों रोगी दूरस्थ भागो से लेटकर शीतलाधाम पहुंचते है और मां शीतला की परिक्रमा कर अपने स्वस्थ होने की प्रार्थना करते है। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां के दरबार में जो जिस भाव से आता है, उसकी मनोकामना मां अवश्य पूरा करती है। सावन मेले में पड़ोसी जिले फतेहपुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ, बांदा, कानपुर, मिर्जापुर, चित्रकूट, रायबरेली, बाराबंकी, भदोही, बनारस, के अलावा प्रदेश भर से देवी उपासक यहां आते है और माता के चरणों में माथा टेककर मन्नते मांगते है। मन्नते पूरी होने पर यहां दरबार में आकर ध्वज पताका निशान चढाते है। यहां पर यात्रियों के निःशुल्क ठहरने के लिए 40 से अधिक धर्मशालाएं हैं । आज सावन मेले के प्रथम दिन पचास हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माता के चरणों में माथा टेककर पूजा अर्चना की। मेला प्रबन्धक जनार्दन पण्डा ने बताया कि 24 जुलाई से 28 जुलाई तक दर्षनार्थियों की भारी भीड़ धाम में उमड़ेगी। मेला कमेटी द्वारा देवी मंदिर तक साफ सफाई का बेहतर बन्दोबस्त किया गया है। गंगा गोमती सेवा संस्थान के सयेाजक विनय पण्डा ने बताया कि गंगा घाटो पर संस्थान के स्वयं सेवक, गोताखोर और मल्लाहों के साथ पूरे एक महीने निगरानी में रहेंगे। गंगा में डूबने से बचाने की पूरी तैयारी संस्थान द्वारा कर ली गयी है। सं दिनेश नरेन्द्र वार्ता