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बरसाना में कल तो नंदगांव में परसों खेली जायेगी लठामार होली

बरसाना में कल तो नंदगांव में परसों खेली जायेगी लठामार होली

मथुरा, 05 मार्च (वार्ता) राधारानी की नगरी बरसाना लठामार होली के एक दिन पहले ही होली के रंग में रंग गई है। बरसाना की लठामार होली छह मार्च को एवं नन्दगांव की लठामार होली सात मार्च को खेली जाएगी। जिला प्रशासन ने बरसाने की लठामार होली में जहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं वहीं सुरक्षा की दृष्टि से होली खेलने वाले स्थल से लगभग आधा किलोमीटर दूर “वाहन प्रतिबंधित क्षेत्र” बनाया गया है। अपर जिलाधिकारी ए के अवस्थी ने बताया कि पूरा मेला क्षेत्र तीन जोन और नौ सेक्टर में बांट दिया गया है। प्रत्येक जोन की जिम्मेदारी जहां एडीएम एवं अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को दी गई है वहीं प्रत्येक सेक्टर की जिम्मेदारी एसडीएम/तहसीलदार एवं सीओ स्तर के अधिकारी को दी गई है। मंदिर लाडली जी महराज में जाने और आने के लिए ‘वन वे’ किया गया है। एम्बुलेन्स के साथ नौ मेडिकल पोस्ट बनाए गए है। छेड़छाड़ और गुंडागर्दी रोकने के लिए सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों के साथ ही एक गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ता तैनात किये गये हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता ने बताया कि पुलिसकर्मियों से तीर्थयात्रियों से अच्छा व्यवहार करने को कहा गया है तथा अवांछनीय तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए प्रमुख स्थानों पर सादी वर्दी में पुलिसकर्मी लगाए गए हैं। 


            ब्रज की मशहूर होलियों में बरसाना की लठामार होली से एक प्रकार ब्रज की होली में तेजी आ जाती है। वैसे ब्रज में रंग की होली की शुरूवात काष्र्णि आश्रम रमणरेती से शुरू हो जाती है जबकि हजारों लोगों के साथ मशहूर संत गुरू शरणानन्द महाराज होली खेलते हैं। इस बार यह होली दो जुलाई को खेली गई थी। आकाशवाणी मथुरा वृन्दावन केन्द्र के निदेशक डा सत्यव्रत सिंह ने बताया कि आकाशवाणी का मथुरा-वृन्दावन केंद्र लठामार होली का प्रसारण सोमवार को शाम 05़ 30 बजे से प्रारम्भ करेगा जो 06 बजकर 05 मिनट तक चलेगा तथा इसके संयोजक कार्यक्रम अधिकारी डा० देवेन्द्र सारस्वत होंगे। उन्होंने बताया कि इस होली के प्रति जागृति लाने के लिए इससे संबंधित कार्यक्रम का प्रसारण पहले ही शुरू कर दिया गया है। “ऐसो रस बरसै बरसाने जैसो तीन लोक में नाय” की कहावत वर्तमान में बरसाने के लिए वास्तव में चरितार्थ हो रही है। जहां नई नवेली विवाहिता लठामार होली खेलने के लिए लालायित हैं वहीं बीमारी या अधिक आयु के कारण होली खेलने में असमर्थ रहने वाली वृद्ध महिलाएं भी लठामार होली का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। नन्दगांव की नवविवाहिता मंजू पहली बार लठामार होली खेलेगी। उसका कहना था कि वह इस होली को खेलने का बेसब्री से इंतजार कर रही है तथा उसका एक-एक पल एक-एक वर्ष की तरह बीत रहा है। उधर 80 वर्ष की नथिया अधिक आयु होने के कारण लठामार होली तो नही खेल पाएगी मगर वह कहती है कि इस होली को देखकर ही उसे संतोष हो जाता है तथा वह अपने पुराने दिन की याद कर लेती है जब वह हुरिहारों पर “तड़ातड़” लाठियां बरसाती थी। उसने बताया कि उस समय उसकी सास होली के एक महीने पहले से ही उसे बादाम का दूध पीने को देती थी। 


             नन्दगांव के हुरिहार यतीन्द्र तिवारी ने बताया कि जहां वाद्ययंत्रों की मरम्मत जारी है वहीं बरसाने में लठामार होली खेलने की पूरी तैयारी की जा रही है। सोमवार को नन्दगांव के हुरिहार नन्दबाबा मंदिर में नन्दबाबा से आज्ञा लेकर दोपहर बाद बरसाने जाएंगे जहां पर प्रवेश करते ही बरसानावासियों द्वारा उनका स्वागत किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद मंदिर लाडलीजी महराज में वे समाज गायन एवं रंग की होली में भाग लेंगे तथा मंदिर की होली के बाद जैसे ही वे रंगीली गली में आएंगे लठामार होली शुरू हो जाएगी। वातावरण रसिया “फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नन्द किशोर” रसिया से गूंज उठता है। हुरिहार नई फरिया, लहंगा आदि पहने गोपियों पर रंग डालकर उन्हें रंगने का प्रयास करते हैं व उन्हें उकसाते हैं तथा गोपियां रंग डालना रोकने और चिढ़ाना बंद करने के लिए लाठियों से हुरिहारों पर प्रयास करती हैं जिसे हुरिहार चमड़े की ढालों पर रोकते हैं। कभी कभी तो एक हुरिहार पर चार चार गोपियां लाठी से प्रहार करती हैं। लगभग एक घंटे तक इस प्रकार की होली चलती रहती है और इसके बाद नन्द के लाला की जयकार से होली बंद होती हैं तो होली खेलने के कारण ही गोपियों को “फगुवा” दी जाती है।


          हुरिहार यतीन्द्र तिवारी के अनुसार भांग और ठंढ़ाई इस होली का महत्वपूर्ण अग है। इसे छानना कहते हैं। हुरिहार जब नन्दगांव से बरसाने के लिए रवाना होते हैं तो “छानकर” चलते हैं और जब पीली पोखर बरसाने में पहुंचते हैं तो भी स्वागत में “छनाई” होती है। उन्होंने बताया कि अगले दिन यानी इस बार सात मार्च को नन्दगांव की लठामार होली खेली जाएगी। इसमें नन्दगांव की गोपियां बरसाने के हुरिहारों से लठामार होली खेलेंगी। बरसाने के हुरिहारो का स्वागत यशोदा कुंड पर होता है और बाद में वे नन्दबाबा मंदिर में समाज गायन तथा होली में भाग लेते हैं तथा उसके बाद ही लठामार होली शुरू हो जाती है। नन्दबाबा मंदिर के गोसाईं सुशील ने बताया कि नन्दगांव और बरसाने में “राधा-श्याम सगाई” होने के कारण नन्दगांव और बरसानावासियों के मध्य वैवाहिक सम्बन्ध नहीं होते हैं तथा इस परम्परा का पालन क्षेत्र के मुसलमान तक सदियों से करते चले आ रहे हैं। जहां ब्रज की अन्य प्रकार की होलियों का प्रस्तुतीकरण विदेश तक में हो चुका है वहीं विशुद्ध आध्यात्मिक होली होने के कारण बरसाना नन्दगांव की होली आज तक इन गावों की परिधि से बाहर नही खेली गई है।


 

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