भारतPosted at: Jun 10 2017 8:00PM लिटिल मिस यूनिवर्स ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की बनना चाहती है ब्रांड एंबेसेडर
नयी दिल्ली,10 जून (वार्ता) लिटिल मिस वर्ल्ड खिताब के लिए अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही 12 वर्षीया पद्मालया नंदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एेंबेसेडर बनना चाहती है। ‘लिटिल मिस यूनिवर्स इंटरनेट’ और ‘लिटिल मिस यूनिवर्स 2017’ जैसे दो अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने वाली पहली भारतीय लड़की होने का गौरव पाने वाली इस नन्ही परी ने इन दोनों ही प्रतियोगिताआें के विभिन्न चरणों में भारत की समृद्ध संस्कृति की झलक पेश कर सबको अचंभित किया। पद्मालया ने आज यहां संवाददाताओं से प्रतियोगिता के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें खिताबी जीत के लिए कड़ा मुकाबला करना पड़ा लेकिन उसकी इस राह को एक भारतीय के रुप में उसकी अलग पहचान ने आसान बनाया। उसने कहा कलात्मक श्रेणी में ‘मैंने मंच पर भगवान जगन्नाथ की स्तुति से जुड़ा एक आदिवासी नृत्य पेश किया था। जूरी उसे शायद अच्छी तरह से समझ नहीं पाए। ऐसे में मुझसे कोई दूसरा नृत्य पेश करने के लिए कहा गया। इसके लिए मुझे सिर्फ 20 मिनट का समय मिला था। मैं जरा भी विचलित नहीं हुई और फौरन संभलपुर का नृत्य पेश कर दिया। लोग नृत्य के साथ पेश गीत के बाेल तो समझ नहीं पाए लेकिन उसके संगीत ने सबको भाव विभोर कर दिया..जूरी और उपस्थित लोगों ने मुझे शाबाशी दी और कहा हमें नहीं पता था कि भारत के बच्चे इतने प्रतिभावान होते हैं।’ पद्मालया ने कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सही अवसर और मदद की दरकार है। उम्मीद है कि सरकार और समाज दोनों इसके लिए आगे आएंगे। पद्मालया को इन प्रतियोगितों के में हिस्सा लेने के लिए ओएनजीसी की ओर से कुछ आर्थिक मदद मिली है लेकिन यूनान में होने जा रही प्रतियोगिता के लिए किसी कंपनी या सरकार की ओर से मदद की कोई पेशकश अब तक नहीं की गई है। पद्मालय के पिता ने कहा कि यूनान में होने जा रही प्रतियोगिता में कड़ी टक्कर होगी लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि उनकी बेटी इस प्रतियोगिता में भी भारत का परचम लहराएगी। ओडिशा के कटक की रहने वाली पद्मालया आठवीं कक्षा की छात्रा है और अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं के साथ ही अपनी पढ़ाई भी बदस्तूर जारी रखना चाहती है। भविष्य में कुछ ऐसा करना चाहती है जिससे पूरी दुनिया में भारती समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का डंका बजे। मधूलिका सत्या वार्ता