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लोकरुचि


अमेरिका में भी मिलेगी बंगाल की तांत साड़ी

अमेरिका में भी मिलेगी बंगाल की तांत साड़ी

कोलकाता 16 अगस्त(वार्ता) पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा और विभिन्न अवसरों पर महिलाओं की पसंदीदा और पारंपरिक तांत साड़ी समूचे देश के बाजार के बाद अब पहली बार सुदूर अमेरिका तथा वैश्विक बाजार में उपलब्ध होंगी। अमेजाॅन और फ्लिपकार्ट पहले ही तांत साड़ियों की बिक्री कर रहे हैं , लेकिन अब अमेजॉन-अमेरिका के जरिए बंगाली तांत साड़ियों को एक वैश्विक बाजार उपलब्ध होने के साथ ही यह विदेशी खरीदारों की पहुंच में होगी। आम तौर पर भी पहनावे के दृष्टिकोण से साड़ी और बंगाल एक दूसरे के पर्यायवाची माने जाते हैं और बंगाली महिलाओं की पांरपरिक परिधानों की सूची में साड़ी अव्वल है। बंगाली महिलाओं द्वारा पहनी जानी सभी शैलियों की साड़ियों में संभवत: सबसे अधिक लोकप्रिय तांत साड़ी है और विभिन्न अवसरों , विशेषकर दुर्गापूजा समारोह के माैके पर वे इसे धारण कर अपनी परंपरा और संस्कृति को अभिव्यक्त करती हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि ये साड़ियां इन महिलाओं के वार्डरोब का एक अनिवार्य हिस्सा है। तांत साड़ी केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं , अपितु समूचे भारत के साथ ही विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है। वजन में हल्की यह साड़ी गर्म जलवायु में भी त्वचा के अनुकूल अौर लाने-ले जाने में आसानदेह है। इसे न सिर्फ त्योहारों अथवा समारोहों के अवसर पर पहना जा सकता है बल्कि रोजाना के उपयोग में भी सहज है। रोजाना के उपयोग वाली तांत साड़ियां 350 रूपये के कम दाम में भी उपलब्ध है। सूती धागे से बनी यह साड़ी अपने हल्के रंगो और विशिष्ट डिजाइन के कारण आकर्षक भी होती है। पश्चिम बंगाल के हथकरघा उत्पादों की सबसे बड़ी मार्केटिंग यूनिट ‘तंतुजा’ ने अमेजाॅन और स्नेपडील जैसी ऑनलाइन शापिंग कंपनियों के साथ इन साड़ियों की मार्केटिंग के लिए करार किया है तथा अपनी वेबसाइट के उन्नयन के लिए गूगल के अधिकारियों के साथ भी बातचीत कर रही है।


                                          मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा केवल एक ही तरह की साड़ी में नजर आती है और वह है तांत की साड़ी। सफेद रंग अौर हल्के रंग के धागाें की कढ़ाई के बार्डर वाली साड़ी उनकी सादगी का परिचायक है। जानी-मानी बालीवुड हस्तियां शर्मिला टैगोर, काजोल, रानी मुखर्जी, विद्या बालन, कोंकणा सेन शर्मा, विपाशा बसु आदि की भी पसंद तांत साड़ियां है । बंगला फिल्मों की नामचीन हस्ती रितुपर्णा सेनगुप्ता विभिन्न माैकों पर तांत साड़ी को तरजीह देती है जो लुभावने लुक में चार चांद लगाती नजर आती है। कभी भारी आर्थिक संकट से घिरे तंतुजा के पुनरोत्थान के लिए मुख्यमंत्री ने सकारात्मक पहल की थी और अब यह संस्थान रिकार्ड मुनाफे में है और इसके उत्पाद अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के जरिए समूचे देश के बाजार में उपलब्ध हैं। इसके अलवा अमेजॉन-अमेरिका अब पहली बार सुदूर अमेरिका में बंगाली तांत साड़ियों की बिक्री करने जा रहा है तथा तंतुजा के अन्य उत्पाद भी यहां बेचे जायेंगे। राज्य के हथकरघा और कपड़ा मंत्री स्वप्न देवनाथ ने बताया कि अमेजान-अमेरिका तांत साड़ियों की बिक्री करेगा और यह एक नयी शुरुआत होगी जब अमेरिका में तंतुजा के उत्पादों की बिक्री की जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्व-सहायता समूहों की पूरी तरह से मदद दे रही है तथा ऐसे गैर-संगठित समूह में शामिल महिलाओं को रिण क्रेडिट कार्ड और अन्य सुविधाओं के रुप में प्रोत्साहित कर रही है। हाल में ‘तांत साथी ’ योजना शुरू की गयी है जिसके तहत पहले चरण में एक लाख बुनकरों को हथकरघा वितरित किया जायेगा, जिससे वे रिण पर निर्भर नहीं होंगे।


                             वर्ष 1947 में बंगाल के विभाजन के बाद बंगलादेश के तंगैल से भारत आये बहुत से विस्थापित बुनकरों को पश्चिम बंगाल में शरण मिली और फुलिया तथा शांतिपुर इनका नया ठिकाना बना। अन्य विस्थापितों को राज्य के हुगली और बर्दवान जिलों में बसाया गया। गुजरते वर्ष के साथ ये इलाके अपनी बुनाई शैली को लेकर विकसित होते गये और वर्तमान में तांत साड़ियों की विख्यात किस्मों के लिये मशहूर हैं। फुलिया में पिछले 35 वर्षों से टीन की छत और हल्की रोशनी तथा बिना पंखे वाले कमरे में साड़ियों की बुनाई करने वाले रूद्रनील बसाक बताते हैं कि एक सामान्य तांत साड़ी को बुनने में करीब 10-12 घंटे लगते हैं और आकर्षक डिजायनों वाली साड़ी बनने में पांच-छह दिन लग जाते हैं। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि पावर-लूम(बिजलीचलित हथकरघा) के कारण पड़ोसी शहरों रानाघाट, नवाद्वीप और शांतिपुर में स्थापित परपंरागत हथकरघा केंद्र के समक्ष संकट खड़ा हो जायेगा। यहां के हथकरघा केंद्रो में प्रतिदिन 10 साड़ियां बनायी जाती है और इनकी उत्पादन लागत कम है तथा यह फुटकर दरों पर भी उपलब्ध होती है। उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि समूचा बाजार पावर-लूम उत्पादों से अब पटा पड़ा है । हैंडलूम एवं पावर-लूम के बीच का अंतर अनुभवी आंखे ही ताड़ सकती है। बदलते समय के साथ तांत साड़ी में काफी बदलाव आया है और इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ी है। आधुनिक तांत साड़ियां विभिन्न किस्मों और डिजायनों में उपलब्ध हैं। इन पर माडर्न आर्ट को भी उकेरा गया है। तांत साड़ियों के अलावा ऐसी अन्य बहुत सी साड़ियां है जो कमोबेश बंगाली महिलाओं के साथ ही गैर-बंगाली महिलाओं की पसंदीदा है। इनमें बालुचरी, मुर्शिदाबादी, टसर सिल्क, जामदानी, कांथा, बाटिक और ढाकाई साड़ियां प्रमुख हैं।

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