लोकरुचिPosted at: Sep 25 2017 2:11PM लोकरूचि-मैथिली श्रद्धा-आलिया दो अंतिम पटनामैथिली को वर्ष 2015 में 'आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार' में हिस्सा लेने का अवसर मिला जिसमें वह विजेता बनी। इसके बाद उन्हें यूनिवर्सल म्यूजिक की ओर से या रब्बा एलबम करने का अवसर मिला जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। इस अलबम में 'शैतानिया' टाइटल सांग को यू-ट्यूब पर अब तक 17 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। बचपन की यादों को मैथिली ने साझा करते हुए बताया, “मुझे याद है कि मैं कुछ दिन पहले तक ‘तन्नू’ थी। मैं जब दादाजी और पिताजी के साथ रियाज पर बैठती थी तो उस समय तक मैं ‘तन्नू’ नाम से बुलाई जाती थी लेकिन अचानक लोगों के प्यार ने पलक झपकते हमें ‘तन्नू’ से ‘मैथिली ठाकुर’ बना दिया। इसका पूरा श्रेय मैं अपने संगीत गुरु दादा और पिता को देती हूँ । मैं बिहार की मिथिला क्षेत्र से हूँ, जिसके कारण शुरू से ही मैथिली भाषा से अधिक प्रेम रहा है।मैं बिहार की बेटी होने पर गौरवान्वित महसूस करती हूं।” ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी मैथिली वर्तमान में दिल्ली के द्वारका में परिवार के साथ रहते हुए पढ़ाई कर रहीं हैं। इसके अलावे मैथिली प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद में संगीत के पांचवें वर्ष की पढ़ाई भी कर ही हैं। शास्त्रीय संगीत को पसंद करने वाली मैथिली कहती हैं, “संगीत एक साधना है। संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए कोई 'शॉर्टकट' नहीं हो सकता।” किशोरी अमोनकर को अपना आदर्श मानने वाली मैथिली का मानना है कि संगीत एक साधना है और सब कुछ आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता।” वहीं, मैथिली के पिता रमेश ठाकुर कहते हैं कि उनकी इच्छा मैथिली को संगीत के क्षेत्र में बहुत ऊंचाई पर देखने की है। भले ही मैथिली राइजिंग स्टार नहीं बन पाई हों, लेकिन इस प्रतियोगिता से उसकी पहचान बढ़ी है। उसके प्रशंसकों की संख्या में इजाफा हुआ है। मेरी इच्छा है कि मैथिली अपने संगीत के घराने को मजबूत करें और भविष्य में ऐसे लोगों के लिए मार्गदर्शक बनें, जिससे संगीत की दुनिया और बड़ी हो सके। प्रेम सतीश वार्ता