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पश्चिम निमाड़ के दो आदिवासी दिग्गज अंतर सिंह आर्य और बाला बच्चन की साख दांव पर

बड़वानी, 10 नवंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पश्चिम निमाड़ के दो दिग्गज आदिवासी नेताओं कांग्रेस के बाला बच्चन और भारतीय जनता पार्टी के अंतर सिंह आर्य की साख भी दांव पर लगी है और इस चुनाव का सकारात्मक परिणाम उनकी स्थिति को और बेहतर कर सकता है।
मध्यप्रदेश के पश्चिम निमाड़ क्षेत्र के बड़वानी जिले के अंतर्गत सेंधवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री अंतर सिंह आर्य वर्ष 1990, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। उन्हें राजनीति अपने पिता राव जी भाई से विरासत में मिली, जिन्होंने सेंधवा का 1977 में एक बार प्रतिनिधित्व किया था। श्री आर्य 2003 से लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं और उमा भारती के मुख्यमंत्रित्व काल को छोड़ दें तो बाबूलाल गौर एवं शिवराज सिंह चौहान ने उन पर भरोसा करते हुए उन्हें मंत्री पद से सुशोभित किया है।
सरल स्वभाव और सबसे सामंजस्य की नीति के चलते विगत 15 वर्षों में उनका कद मध्यप्रदेश के आदिवासी नेताओं में काफी हद तक बढ़ा है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पश्चिम निमाड़ के दौरों में उन्हें भरपूर सम्मान देते नजर आये हैं।
राजनैतिक चतुराई रखते हुए श्री आर्य ने क्षेत्र में भाजपा में अपना विकल्प पैदा नहीं होने दिया और 2003 और 2008 में कांग्रेस के दो बार के विधायक ग्यारसी लाल को रावत को पराजित किया, जबकि पिछली बार 2013 के चुनाव में उन्होंने दयाराम को हराकर विधानसभा में अपनी सीट और साख बरकरार रखी।
राजनीतिक पंडित उनकी लगातार 3 जीतों की हैट्रिक को जहां क्षेत्र के कांग्रेस नेता ग्यारसी लाल और पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुखलाल परमार की गुटबाजी के चलते विभाजित होने वाले कांग्रेसी वोटों का परिणाम मानते हैं। वही दूसरी ओर उनका क्षेत्र की जनता से सतत संपर्क में रह कर दलगत प्रतिद्वंद्विता से उठकर हर दल के व्यक्ति की मदद करने की प्रवृत्ति, क्षेत्र के कांग्रेसी दिग्गजों से मधुर संबंध और सरल स्वभाव क्षेत्र की जनता में उन्हें लोकप्रिय बनाता है।
करीब बारह हजार की संख्या में वनाधिकार पट्टे , क्षेत्र में सिंचाई संसाधनों और शैक्षणिक सुविधाओं में वृद्धि भी उनके खाते में जाती है, हालांकि उनके आलोचक उन पर भ्रष्टाचार, क्षेत्र में बाहुबली नेताओं को प्रश्रय देने, शैक्षणिक व स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में कमी, पलायन, शिक्षित युवाओं को रोजगार की कमी, क्षेत्र से कपास उद्योग के समाप्त होने को उनकी विफलता का आरोप भी लगाते है।
भारतीय जनता पार्टी विगत 15 वर्षों से सेंधवा में श्री आर्य का विकल्प तलाश नहीं सकी है या यूं कह लें किसी आर्य ने अपना विकल्प पैदा ही नहीं होने दिया है, इसलिए उनका तथा पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश 'अति उत्साह' में परिणित होता नजर आ रहा है। इस बार के चुनाव के काफी पहले से श्री आर्य ने अपनी तैयारियां आरंभ कर चुके थे और सरकारी योजनाओं के प्रचार के बहाने वह कई बार क्षेत्र में भ्रमण कर चुके हैं।
यह क्षेत्र में 'ओपन सीक्रेट' जैसा है कि यदि कांग्रेस नेता सुखलाल परमार तथा ग्यारसी लाल रावत अपनी आपसी प्रतिद्वंदिता त्याग देते हैं, तो कांग्रेस अंतर सिंह आर्य के विजय रथ को रोक सकती है, लेकिन श्री रावत की उम्मीदवारी घोषित होते ही सुखलाल परमार ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन भर के कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ा दी है। श्री आर्य फिलहाल पश्चिम निमाड़ की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा है और क्षेत्रीय सांसद सुभाष पटेल समेत कई आदिवासी नेताओं पर उन का वरदहस्त है।
यदि वह पुनः जीत के आते हैं और भारतीय जनता पार्टी सरकार में उप -मुख्यमंत्री का पद निर्मित किया जाता है तो वह एक आदिवासी नेता होने के नाते इस पद के प्रबल दावेदार रहेंगे।
इसी तरह बड़वानी जिले के राजपुर से कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत चार बार वर्ष 1993, 1998, 2008 और 2013 में विधायक बनने का सेहरा बांधा है। दिग्विजय सिंह शासनकाल में वे दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। कमलनाथ के क्षेत्र में राइट हैंड माने जाने वाले से बच्चन को कांग्रेस में राष्ट्रीय सचिव का पद भी दिया था। फिलहाल वे प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
उन्होंने पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के बीमार होने और उनके देहावसान के उपरांत कुछ महीने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है और अपने आप को मांजा है। बाला इसके अलावा भी राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पैठ जमा चुके हैं। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में उप प्रभारी होने के नाते वे राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी के काफी नजदीक भी आए और उन्होंने अपनी शख्सियत का भरपूर विस्तार किया।
उनके ससुर अब भाजपा में हैं, भी गुजरात में कांग्रेस से कई बार के विधायक रह चुके हैं। क्षेत्र में सतत संपर्क में रहने तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में लगातार मुद्दा उठाकर 'लाइव वायर' बने रहने वाले बाला बच्चन भाजपा के हालिया तीन शासनकाल में भी दो बार विधायक चुने गए, जो उनकी राजनीतिक सूझबूझ और हिकमत अमली को दर्शाता है। वे क्षेत्र की राजनीति करने के साथ साथ प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपडेटेड हैं।
जिस तरह अंतर सिंह आर्य का विपक्ष विभाजित है, उसी तरह राजपुर क्षेत्र में भी बाला बच्चन के विपक्ष में गुटबाजी परिलक्षित है। हालांकि राजनीतिक टीकाकार उनकी इन खूबियों के साथ ग्रामीण इलाकों में पकड़ कमजोर होने की बात भी कह रहे हैं। क्षेत्र में कोई बड़े कल कारखाने या संस्थान आरम्भ कराने में बाला विफल रहे। श्री आर्य की तरह बाला बच्चन ने भी क्षेत्र में अपना प्रतिद्वंदी या विकल्प तैयार नहीं होने दिया और वह भी भी 'अति आत्मविश्वास' के शिकार प्रतीत होते हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें आसमान दिखाने के लिए क्षेत्र के कद्दावर भारतीय जनता पार्टी नेता तथा उम्दा रणनीतिकार ओम सोनी को इस बार चुनाव की कमान सौंपी है । श्री आर्य की तरह पश्चिम निमाड़ में बाला बच्चन भी कांग्रेस के सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं और चुनाव जीतने और कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में वह भी बड़े पद के दावेदार सिद्ध होंगे।
राजपुर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवी सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र अंतर सिंह को टिकट दिया गया है और सहानुभूति लहर के चलते आसान मानी जा रही सीट अब बाला बच्चन के लिए बेहद कठिन हो गई है। राजनीतिक टीकाकार यह भी मानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों में भी दोनों पार्टियों में के पास इनसे बड़ा नेता न होने के चलते श्री आर्य और बाला बच्चन को खरगोन बड़वानी लोकसभा सीट (सुरक्षित ) से आगामी लोकसभा चुनाव में प्रतिद्वंदी भी बनाया जा सकता है।
कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष सुखलाल परमार का मानना है की पलायन, शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार ,शिक्षा और स्वास्थ्य संसाधनों में गुणवत्ता में कमी, धनबल और बाहुबल में वृद्धि, किसानों की बिजली की समस्याओं को अंतर सिंह आर्य हल नहीं कर पाए। उधर अंतर सिंह आर्य का कहना है उन्होंने क्षेत्र को बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से काफी आगे के समय तक के लिए सिंचाई के संसाधनों से समृद्ध बना दिया है ।
उनके शासनकाल में सेंधवा के सिविल अस्पताल का निर्माण, पॉलिटेक्निक कॉलेज और आदिवासियों के लिए बड़े स्कूल का निर्माण हुआ । उन्होंने समस्याएं हल करने के मामले में यह कभी नहीं देखा कि संबंधित व्यक्ति किस दल से है ।
दूसरी ओर बाला बच्चन के क्षेत्र राजपुर में भारतीय जनता पार्टी की चुनावी बागडोर संभाले वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश सोनी ने कहा किसी बच्चन ने गत 5 वर्षों में क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया और केवल खबरों में बने रहने व व्यक्तिगत लाभ लेने के ही कार्य किये ।
श्री सोनी ने आरोप लगाया कि क्षेत्र को श्री बच्चन ने बहुत पीछे कर दिया है । दूसरी ओर बाला बच्चन का कहना है कि वह प्रादेशिक जिम्मेदारियों के अलावा क्षेत्र में पूरे 5 वर्ष सक्रिय रहे और क्षेत्र की जनता के साथ उनके मुद्दों को लेकर खड़े रहे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मेंसानी के कांग्रेस में आने का ही यह मायने हैं कि भाजपा का जहाज डूब रहा है।
सं बघेल
वार्ता
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