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झाबुआ में भाजपा-कांग्रेस के लिए बागी बने मुसीबत

झाबुआ, 11 नवंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में आदिवासी बहुल जिले झाबुआ की तीन सीटों में इस बार बागी उम्मीदवार कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबतें कडी कर सकते हैं।
झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार डां. विक्रांत भूरिया चुनाव मैदान में हैं, डां. विक्रांत सांसद कांतिलाल भूरिया के सुपुत्र हैं, जिसके कारण ये सीट कांग्रेस के लिये प्रतिष्ठा का चुनाव हो गया है। 29 अक्टूबर को यहां पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया आम सभा को संबोधित कर चुके हैं।
इस बार इस सीट पर कांग्रेस के लिये कांग्रेस के बागी और पूर्व विधायक जेवियर मेडा खासी चुनौती बने हुए है। जेवियर मेडा यहां से टिकिट के प्रबल दावेदार होकर सिंधिया गुट से आते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर उनका चुनाव टिकिट डां. विक्रात भूरिया को दे देने से वे खासे नाराज है और जेवियर ईसाई समुदाय से आते है। झाबुआ विधानसभा सीट पर झाबुआ, पिपलिया, मोहनकोट, कल्याणपुरा, कंडला आदि क्षेत्रों में ईसाईयों का खासा वर्चस्व है, फिर जेवियर झाबुआ में श्री रामशरणम और कालिका माता मंदिर सेवा समिति से भी जुडे हैं।
श्री जेवियर झाबुआ के सबसे बडे वार्ड विवेकानंद नगर के निवासी हैं, इस कारण से जेवियर अपने स्वभाव से काफी लोकप्रिय हैं। उन्होने धुंआधार तरीके से अपना प्रचार प्रारंभ कर दिया है, जिसके चलते कांग्रेस के लिये यहां पर खासी चुनौती बन गये है।
भारतीय जनता पार्टी ने यहां से एकदम नया चेहरा गुमानसिंह डामोर के रूप में दिया है, जो कि पेटलावद तहसील के उमरकोट से आते हैं और मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सेवा विभाग के मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत हुए हैं, लेकिन उन पर बहारी उम्मीदवार का तमगा लगा हुआ है। भाजपा में भी वर्तमान विधायक शांतिलाल बिलवाल का टिकिट कट जाने से वो नाराज है और निर्दलिय मैदान में उतर गये है जिसके चलते इस विधानसभा सीट पर बागी कांग्रेस और भाजपा का खेल बिगाड सकते है।
झाबुआ विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 193 मेें 13 वीं विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के शांतिलाल बिलवाल ने कांग्रेस के जेवियर मेडा को 15 हजार 858 मतों से पराजित किया था और भाजपा 43.43 प्रतिशत मत मिला था। जबकि कांग्रेस को 31.26 प्रतिशत वोट मिला था तथा मैदान में 13 उम्मीदवार चुनाव लडे थे। कलावती भूरिया ने निर्दलिय चुनाव लडते हुए 18 हजार 311 वोट लेते हुए जेवियर को हराने में महती भूमिका निभाई थी और इसी बात का बदला इस बार जेवियर चुकाना चाहते है।
जिले की थांदला विधानसभा सीट पर भी कुछ इसी प्रकार का नजारा देखने को मिल रहा है। यहां पर कांग्रेस के पांच नेता बागी होकर निर्दलिय चुनाव मैदान में है तो भाजपा के दिलीप कटारा निर्दलीय चुनाव लड रहे हैं, जिसके कारण कांग्रेस के वरसिंग भूरिया और भाजपा के कलसिंग भाभर दोनों की राह आसान नही है। 13 वीं विधनसभा चुनाव में थांदला विधानसभा चुनावों में दस उम्मीदवार मैदान में थे और भाजपा के कलसिंह भाभर ने कांग्रेस के गेदाल डामोर को 5 हजार 116 वोटों से हराया था।
जिले की तीसरी महत्वपूर्ण विधानसभा सीट पेटलावद है, जहां पर भाजपा की पांच बार की विधायिक सुश्री निर्मला भूरिया एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं, उनके सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक वालसिंह मेडा मैदान में है। 13 वीं विधानसभा में सुश्री निर्मला भूरिया ने कांग्रेस के वालसिंह मेडा को 17 हजार 16 मतों से परास्त किया था। इस बार भी यहां पर इन दोनों के बीच ही कडा मुबाकला होगा।
सं बघेल
वार्ता
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