जबलपुर, 17 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी जलाकर हत्या किए जाने के मामले के दोषी को निचली अदालत द्वारा सुनायी गयी फांसी की सजा के मामले की आज सुनवाई में दोषी की फांसी की सजा काे बरकरार रखा।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी के जायसवाल तथा न्यायाधीश व्ही के श्रीवास्तव की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि घटना के सात दिन बाद बच्ची की मौत हुई। इस दौरान उसे जो शरीरिक व मानसिक पीड़ा सहन की होगी, इसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं। किशोरी का दोष सिर्फ इतना था कि उसने आरोपियों को अपना शुभचिंतक समझा। बच्चियों के साथ अपराध में बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसे रोकने के लिए कड़ी सजा देना आवश्यक है।
युगलपीठ ने कहा कि ऐसे अपराध से समाज में दहशत की लहर फैलती है। न्यायालय का यह सामाजिक दायित्व है कि देश के नागरिक को बताये कि कानून ऐसे व्यक्ति के बचाव के लिए है नही है, जो मानवता के लिए खतरा है। युगलपीठ ने अपने आदेश में आगे कहा कि ऐसे अपराधों में अधिकतम सजा दिये जाने से लोगों एक संदेश जायेगा कि प्रदेश में अपराधियों की नरमी नहीं रखता है। युगलपीठ ने प्रकरण को विरल से विरलतम मानने हुए आरोपी की फांसी की सजा बरकरार रखा है।
अभियोजन के अनुसार ग्राम देवल थाना भानगढ़ जिला सागर निवासी 16 वर्षीय किशोरी 17 दिसम्बर 2017 की रात्रि घर पर अकेले टीव्ही देख रही थी। तभी आरोपी 15 वर्षीय किशोर तथा सर्वेश (22) उसके घर पहुॅचे। दरवाजा खोलने पर नाबालिक किशोर ने लड़की से पीने के लिए पानी मांगा। लड़की पानी लाने अंदर गयी तो दोनो घर में घुस आये। इसके बाद दोनो ने मोबाइल पर ब्लू फिल्म दिखाकर उसके साथ गैंगरेप किया।
लड़की द्वारा घटना के संबंध में परिजनों को बताने की बात कही गयी, तो आरोपी नाबालिग किशोर ने घर में रखी कुप्पी से मिट्टी तेल किशोरी के ऊपर डाल दिया और आरोपी सर्वेश ने आग लगा दी। किशोरी जलती हुए बाहर निकली तो उसके दादा सहित अन्य लोगों ने आग बुझायी।
किशोरी को गंभीर अवस्था में उपचार के लिए अस्पाल में भर्ती किया गया था। जहां महिला तहसीलदार ने उसके मृत्युपूर्व कथन लिये थे। इसके बाद उसे उपचार के लिए सागर मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। मेडिकल कॉलेज में भी महिला न्यायिक दंडाधिकारी ने उसके वयान दर्ज किये थे। उपचार के दौरान 14 दिसम्बर 2017 को मृत्यु हो गयी थी। प्रकरण की सुनवाई के दौरान जिला न्यायालय ने पाया था कि आरोपी की डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव है।
जिला न्यायालय ने 20 अगस्त 2018 को मेडिकल रिपोर्ट और किशोरी के मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर आरोपी सर्वेश को दोहरी फांसी की सजा से दण्डित किया था। वहीं, नाबालिग किशोर के खिलाफ बाल न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई चल रही थी। सजा की पुष्टि के लिए जिला न्यायालय बीना ने प्रकरण को उच्च न्यायालय भेजा था। इसके अलावा आरोपी ने भी सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।
सं बघेल
वार्ता