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राजीव दीक्षित की मौत की पीएमओ के निर्देश पर

भिलाई नगर 23 जनवरी(वार्ता) छत्तीसगढ़ के भिलाई में स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता रहे भारत स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की आठ वर्ष पूर्व हुई संदिग्ध मौत की प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर नये सिरे से जाँच होगी।
दुर्ग के प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक रतनलाल डांगी ने पीएमओ से जांच के लिए पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए यूनीवार्ता से बुधवार को कहा कि जांच के लिए दुर्ग पुलिस अधीक्षक के पास इसे भेजा जा रहा है। श्री दीक्षित की 2010 में 29-30 नवंबर की दरमियानी रात को भिलाई के बीएसआर अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। श्री दीक्षित स्वदेशी उत्पादों के प्रणेता थे और देशभर में घूम-घूम कर इस विषय पर व्याख्यान देते थे। विदेशी कम्पनियों के उत्पादों के उपयोग का विरोध करने की वजह से उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन गयी थी।
श्री दीक्षित की मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम करवाए बिना ही पुलिस ने अंतिम संस्कार के लिए उनके गृहनगर भेज दिया था। जाँच की दिशा में इसे गंभीर चूक मानी गई।श्री दीक्षित 29 नवम्बर 2010 को बेमेतरा में व्याख्यान देकर दुर्ग लौट रहे थे। इस दौरान उनकी तबियत खराब हो गई थी। वह अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं थे लकिन बाबा रामदेव ने फोन से बात करके उन्हें अस्पताल जाने के लिए राजी किया था।
परिजनों ने बताया गया था कि श्री दीक्षित की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुयी लेकिन उन्होंने इसे संदिग्ध माना था। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले की नए सिरे की जांच का अनुरोध किया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस को मामले की फिर से जांच के निर्देश दिए गए हैं।
संवाद.आशा
वार्ता
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