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हमीदिया अस्पताल में शुरू हुए लेजर ट्रीटमेंट से बच्चों को मिलेगी अंधत्व से मुक्ति

भोपाल, 11 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के शासकीय हमीदिया अस्पताल में नवजात शिशुओं को अंधत्व से बचाने के लिये रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मेच्योरिटी नेत्र जाँच और लेजर ट्रीटमेंट शुरू किया गया है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक अब तक दो हजार से अधिक नवजात शिशु इसका लाभ उठा चुके हैं। गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा हमीदिया अस्पताल में इसके लिये मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को प्रात: 9 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक ओपीडी संचालित की जा रही है, परन्तु भोपाल के बाहर से आने वाले बच्चों की रोज जाँच की जा रही है। ओपीडी में भोपाल और आसपास के गाँव-शहरों के रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मेच्योरिटी (आर.ओ.पी.) शिशु जाँच और उपचार के लिये आ रहे हैं।
अक्सर देखा गया है कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों के आँख के पर्दे (रेटिना) पर आवांछित नसों का जाल विकसित हो जाता है। ये बच्चे को हमेशा के लिये अंधा बना देता है। लेजर से आवांछित नसों के विकास को खत्म कर दिया जाता है।
विभागाध्यक्ष डॉ. कविता कुमार ने बताया कि रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मेच्योरिटी अक्सर समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों में पायी जाती है। जिन बच्चों का वजन 1500 ग्राम से कम है, गर्भावस्था 32 हफ्ते या उससे कम है अथवा बच्चे को जन्म के बाद अधिक मात्रा में आक्सीजन की आवश्यकता पड़ी हो, आर.ओ.पी. का शिकार होते हैं। आर.ओ.पी. पीड़ित बच्चे अंधत्व, भेंगापन, रेटीना डिटेचमेंट, ग्लूकोमा और निकट दृष्टिदोष का शिकार होते हैं। इससे उनकी जिंदगी ही दुखभरी और संघर्षमय हो जाती है। अब जन्म लेने के बाद ही शिशु की आँख का परीक्षण किया जाता है। डॉ. कविता कुमार ने कहा कि कई बार जन्म लेने के कुछ हफ्ते तक नेत्र दोष पकड़ में नहीं आता। इसलिये समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों का नेत्र परीक्षण जन्‍म के चौथे से छठे हफ्ते के बीच अवश्य करवाना चाहिये।
गरिमा
वार्ता
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