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पंचकोशी यात्रा की तैयारी अंतिम दौर पर, कल से शुरू होगी यात्रा

उज्जैन, 28 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश के उज्जैन में 118 किलोमीटर की पैदल पंचकोशी यात्रा की तैयारियो को अंतिम रुप दे दिया। यह यात्रा कल प्रारंभ होगी और तीन मई को समाप्त होगी। भीषण गर्मी के बावजूद इस यात्रा में प्रतिवर्ष दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेने पहुंचते हैं।
पंचकोशी यात्रा प्रतिवर्षानुसार परंपरागत वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से प्रारंभ होकर वैशाख मास की अमावस को समाप्त होती है। कलेक्टर ने यात्रा के पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को यात्रियों की सुविधाओं के लिये व्यापक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यात्रा मार्ग में श्री नागचन्द्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 12 किलो मीटर, पिंगलेश्वर से श्री कायावरोहणेश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 23 किलो मीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव की दूरी 21 किलो मीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्केश्वर अंबोदिया पड़ाव स्थल की दूरी 6 किलो मीटर, अंबोदिया पड़ाव स्थल से कालियादेह उप पड़ाव स्थल की दूरी 21 किलो मीटर, कालियादेह से जैथल दुर्देश्वर पड़ाव स्थल की दूरी 7 किलो मीटर, दुर्देश्वर पड़ाव स्थल से उंडासा की दूरी 16 किलो मीटर और उंडासा उप पड़ाव से शिप्रा घाट की दूरी 12 किलो मीटर इस प्रकार इस यात्रा का मार्ग कुल 118 किलोमीटर लम्बा है।
प्राचीन मान्यता अनुसार भारत के प्रमुख द्वारदश ज्योतिर्लिंग में यहां भगवान श्री महाकालेश्वर विराजित हैं और तीर्थ के मध्य में स्थित हैं। ये यहां चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये भगवान महादेव ने चार द्वारपाल शिव रूप में स्थापित किये, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं। इन्हीं चार द्वारपाल की कथा, पूजा और परिक्रमा का विशेष महत्व है। यात्रा में शिव के पूजन, अभिषेक, उपवास, दान, दर्शन की ही प्रधानता धार्मिक ग्रंथों में मिलती है।
सं बघेल
वार्ता
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