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चुनाव आयोग द्वारा प्रचार-प्रसार में रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

जबलपुर, 01 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में चुनाव आयोग द्वारा रक्षा और सेना के प्रचार प्रसार पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका आज खारिज कर दी।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस के सेठ तथा न्यायाशीश व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि रक्षा विभाग व भारतीय सेना वोट प्राप्त करने का माध्यम नहीं है। यह गैरराजनीतिक है और इनका राजनीतिक पार्टियों व प्रशासन से कोई संबंध नहीं है। इस आदेश के साथ युगलपीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया ,जिसमें चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के प्रचार में रक्षा व सेना का प्रयोग पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती दी गयी थी।
प्रोफेसर डॉ. मुमताज अहमद खान की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने आचार संहिता 2019 के नियम में सैन्य व उसके पराक्रम का चुनाव प्रचार प्रसार किये जाने पर रोक लगा दी है। याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग का कार्य फ्री एण्ड फेयर चुनाव करवाना है। मॉडल कोर्ट ऑफ कंडक्ट इस तरह की कोई रोक प्रदान नहीं करता। इस तरह की रोक संविधान में प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंधन है।
चुनाव आयोग ने याचिका को निराधार बताते हुए कहा था कि चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है। चुनाव आयोग ने सैन्य अधिकारियों की फोटो व उनके शौर्य और पराक्रम का उपयोग चुनाव प्रचार में नहीं किया जाये, इसलिए उक्त रोक लगाई गयी है। किसी व्यक्ति विशेष पर रोक लगाई गई याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने 24 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
युगलपीठ ने आज जारी अपने आदेश में यह भी कहा है कि रक्षा विभाग व सेना राजनीतिक पार्टियो के वस्त्र नहीं है। लोकतंत्र में सशस्त्र सेना गैरराजनीति तथा तटस्थ हितग्राही है। युगलपीठ ने चुनाव आयोग के निर्णय को संविधान में प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंधन नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
सं बघेल
वार्ता
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