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ऑनलाइन गेम पबजी के कारण एक किशोर की मौत, प्रतिबंध की मांग उठी

नीमच, 01 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के नीमच जिला मुख्यालय पर मोबाइल फोन पर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम 'पबजी' के आदी एक किशोर की यह खेल खेलने के दौरान ही मौत का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद अब इस पर प्रतिबंध की मांग उठने लगी है।
प्लेयर अननोन्स बैटल ग्राउंड (पबजी) मोबाइल फोन पर खेले जाने वाला गेम है, जो किशाेरों के बीच काफी चर्चित है। विदेशी कंपनी द्वारा विकसित यह ऑनलाइन या वीडियो गेम छद्म दुनिया का आभास कराते हुए हिंसा के माध्यम से शत्रुओं पर विजय पाने से जुड़ा हुआ है।
देश में अपनी तरह का यह विरला मामला नीमच के पटेल प्लाजा के पास का है, जहां 28 मई को फुरकान कुरैशी नाम के एक 16 वर्षीय किशोर की पबजी गेम खेलते हुए अचानक मौत हो गई। फुरकान की मौत से पूरा परिवार सदमे में है। उस दिन फुरकान ने लगभग छह घंटे तक लगातार यह गेम खेला और वह हेडफोन लगाए जोर जोर से चिल्ला रहा था। इसी दौरान वह अचेत हो गया और अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने कहा कि उसकी यहां पहुंचने के पहले ही मौत हो चुकी है। बताया गया है कि वह पिछले एक डेढ़ वर्षों से यह गेम खेल रहा था।
उसके पिता हारून राशिद कुरैशी का कहना है कि वह अपने पुत्र को कई बार इसे नहीं खेलने के लिए कहता था। लेकिन वह सुनता ही नहीं था। कई घंटों मोबाइल फोन पर लगकर यह गेम खेलता रहता था। उन्होंने प्रशासन और सरकार से मीडिया के माध्यम से मांग की है कि इस गेम पर प्रतिबंध लगाया जाए।
श्री कुरैशी ने बताया कि उनका पुत्र फुरकान बारहवीं कक्षा का छात्र था। वह लगभग डेढ साल से पबजी गेम खेल रहा था। कई बार तीन चार घंटे तक खेलता था। मना करने के बावजूद मानता नहीं था। वह कान में हेडफोन लगाकर जोर जोर से चिल्लाता था। आसपास की वास्तविक घटनाओं से बेसुध होकर वह कभी विस्फोट होने या मार देने या हमला बोलने की बात करता था। हादसे के दिन भी वह अचानक चिल्लाने लगा कि ब्लास्ट करो। कुछ ही देर में फुरकान के शरीर के शरीर का रंग बदल गया और वह लाल सा हो गया।
श्री कुरैशी के अनुसार उन्हें एक चिकित्सक डॉ अशोक जैन के पास ले जया गया। वहीं डॉक्टर का कहना है कि किशोर की उनके पास पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी है।
गेम खेलते समय फुरकान के सामने मौजूद रही उसकी बहन फिजा का कहना है कि वह गेम के लिए एक तरह से जुनूनी हो गया था। मना करने पर उल्टा उसे ही डांटने लगता था। समय मिलते ही वह मोबाइल फोन लेकर बैठ जाता था। उस दिन शाम को वह लेटा हुआ गेम खेल रहा था। तभी अचानक उसने जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। वह किसी का नाम लेकर कह रहा था कि उसकी वजह से वह गेम हार गया और गेम में वह (फुरकान) मार दिया गया है। उसने हेडफोन निकाला और कुछ ही देर में वह अचेत हो गया।
फुरकान के परिजनों ने बताया कि परिवार में और भी बच्चे यह गेम खेलते थे, लेकिन अब सबने तौबा कर ली है। हालाकि वे सभी फुरकान की तरह दीवाने नहीं थे। बताया गया है कि इस गेम में हारने पर जुनून सवार हो जाता है और खेलने वाला यह सोचता है कि वह अगली बार कैसे जीतेगा।
इस बीच मंदसौर जिले के एक विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने फुरकान की मौत पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन को इस पर प्रतिबंध के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस खतरनाक गेम की लत से बच्चे और किशोर बर्बादी के गर्त में जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वे इस गेम पर प्रतिबंध की मांग विधानसभा में भी उठा चुके हैं।
सं प्रशांत
वार्ता
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