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भीषण जल संकट के चलते वीरान हुआ पन्ना का छापर गांव

पन्ना, 04 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भीषण पेयजल संकट के चलते एक सैंकड़ा से भी अधिक गांवाें में पानी के लिए मची त्राहि-त्राहि के बीच लोग पलायन करने पर मजबूर हैं।
जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छापर गांव के करीब ढाई सौ लोग अपना गांव छोड़कर करीब 20 किलोमीटर दूर ककरहटी गांव में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। लगभग वीरान हो चुके इस गांव में सिर्फ तीन बुजुर्ग और कुछ मवेशी ही बचे हैं, जो जीवित रहने की जद्दोजहद में इस चिलचिलाती धूप में चार किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों की अधिकांश नल-जल योजनाएं ठप पड़ी हैं, जिससे हालात और बिगड़ गए हैं। जल स्तर नीचे खिसकने से कुएं जहां सूख चुके हैं, वहीं हैंडपंपों से पानी की जगह गर्म हवा निकल रही है।
बताया जा रहा है कि आदिवासी बहुल छापर गांव में पेयजल का इतना विकराल संकट पहली बार निर्मित हुआ है। गांव के बुजुर्ग बंदी चौधरी ने बताया कि पहली बार पानी का इतना भीषण संकट उन्होंने अपने गांव में देखा। उन्होंने बताया कि जल स्तर पाताल की ओर खिसकने के कारण तीन महीने पहले उनके गांव के ज्यादातर लोग पलायन कर गए।
बंदी चौधरी के अलावा छापर में बचे दो अन्य ग्रामीण गेंदालाल चौधरी और बुधवा चौधरी ने बताया कि आग उगलती गर्मी में वे तीन से चार किलोमीटर दूर जनवार या मोहनगढ़ी गांव से पीने का पानी लाते हैं। कई बार जंगल में स्थित प्राचीन झिरिया का गंदा पानी पीकर प्यास बुझानी पड़ती है।
दूसरी ओर राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 39 के किनारे स्थित छापर गांव से ग्रामीणों के पानी के अभाव में पलायन करने को लेकर समूचा प्रशासन बेखबर बना हुआ है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री एसके जैन ने कहा कि छापर गांव से ग्रामीणों का पानी के अभाव में पलायन बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने समस्या के तत्परता से समाधान का आश्वासन भी दिया।
सं गरिमा
वार्ता
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