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इंदौर शहर में कुएँ-बावड़ियों के संरक्षण की कार्य-योजना का क्रियान्वयन

इंदौर, 19 जून (वार्ता) देश के सर्वाधिक स्वच्छ शहर इंदौर में पानी की समुचित व्यवस्था के लिये पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) ने नगर निगम के सहयोग से विस्तृत कार्य-योजना तैयार की है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार जलवायु परिवर्तन ज्ञान-प्रबंधन केन्द्र द्वारा तैयार की गई इस कार्य योजना द्वारा शहर के 330 पारम्परिक कुओं-बावड़ियों की पहचान कर उनके संरक्षण का कार्य कराया जा रहा है, जो अब पूर्णता की ओर है। कार्य योजना से इंदौर शहर के 16 हजार 500 परिवारों को स्वच्छ पानी की पूर्ति हो सकेगी। साथ ही शहर के एक बड़े इलाके में सूखे ट्यूब-वेल्स और हैण्ड-पम्प भू-जल स्तर बढ़ने के कारण पुन: चालू हो सकेंगे।
इस योजना के लिये केन्द्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से 5 करोड़ रुपये का शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त हुआ है। वहीं, एप्को की मदद से नगर निगम बुरहानपुर ने सदियों पुरानी ऐतिहासिक जल-संरचनाओं के संरक्षण का काम शुरू किया है। इस कार्य में जलवायु परिवर्तन ज्ञान-प्रबंधन की मदद प्राप्त की जा रही है। इसमें बुरहानपुर के 71 कुओं और बावड़ियों के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है।
इसके साथ ही, बुरहानपुर के पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व के कुण्डी भण्डारा नेटवर्क के संरक्षण और उसमें भू-जल की निरंतरता बनाये रखने के लिये उसके केचमेंट क्षेत्र का उपचार किया जा रहा है। इसके लिये क्षेत्र में व्यापक रूप से वृक्षारोपण का कार्य भी किया जा रहा है।
बुरहानपुर शहर में भूमि के जल-स्तर को बढ़ाने के लिये 250 शासकीय और अशासकीय भवनों में रूफ-टॉप रेन-वॉटर हॉर्वेस्टिंग की योजना क्रियान्वित की जा रही है। इनसे बुरहानपुर की सदियों पुरानी और देश की एकमात्र विलक्षण कनात पद्धति से भू-जल प्राप्त करने के लिये कुण्डी भण्डारा का संरक्षण होगा। इससे बुरहानपुर शहर की जल-समस्या का निराकरण होगा और भू-जल स्तर में भी वृद्धि होगी।
एप्को परिसर भोपाल में राज्य शासन के सहयोग से केन्द्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत राज्य जलवायु परिवर्तन ज्ञान-प्रबंधन केन्द्र की स्थापना की गई है। केन्द्र की गतिविधियों का मुख्य आधार जलवायु परिवर्तन से संबंधित नवीन ज्ञान का सृजन, जानकारियों एवं सूचनाओं का संकलन और संबंधित जानकारी विभिन्न एजेंसियों को उपलब्ध कराना है। केन्द्र की मदद से प्रदेश के अनेक स्थानों में जल-संरक्षण की गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
बघेल
वार्ता
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