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विद्यालय द्वारा लगाए गए कथित प्रतिबंध हटाए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा

खरगोन 29 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के भीकन गांव स्थित एक संस्था द्वारा संचालित विद्यालय द्वारा कथित तौर पर विद्यार्थियों पर तिलक लगाने व बाली पहनने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाए जाने को लेकर आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ज्ञापन सौंपा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के नाम नायब तहसीलदार भीकनगांव ममता मिमरोह को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बताया कि भीकन गांव की सेंट मैरी स्कूल प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को बिंदी, कान की बाली, तिलक तथा हाथ में धागा आदि पहनने से रोका जा रहा है। ऐसा नहीं किये जाने पर स्थानांतरण प्रमाण पत्र देने तथा 20 अंक काटने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके चलते विद्यार्थी गण अवसाद ग्रस्त व तनाव में हैं।
विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने चेतावनी दी कि यदि यह प्रतिबंध नहीं हटाया जाते है तो वे उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे।
कल अभिभावकों ने विद्यालय पहुंचकर प्राचार्य सिस्टर प्रिया से मुलाकात की थी तथा बिंदी, तिलक, बाली तथा हाथ में नाड़ा बांधने को लेकर उनके द्वारा अध्यारोपित प्रतिबंध का विरोध किया था। इनमें से सात अभिभावकों ने स्थानांतरण प्रमाण पत्र के लिए भी आवेदन दिया है।
अभिभावकों ने शिकायत में विद्यालय द्वारा महापुरुषों की तस्वीरें नहीं लगाए जाने तथा राष्ट्रगान व राष्ट्रगीत प्रतिदिन नहीं गवाए जाने का भी आरोप लगाया।
मौके पर पहुंचे विकास खंड शिक्षा अधिकारी एसके खरे ने बताया कि विद्यालय प्रबंधन को प्रतिदिन राष्ट्रगान व राष्ट्रगीत गवाये जाने व विद्यार्थियों द्वारा बिंदी, तिलक, कान की बाली आदि वस्तुएं धारण करने पर रोक न लगाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि अभिभावकों की शिकायत तथा अभी तक का घटनाक्रम जिला शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई हेतु प्रेषित कर दिया गया है।
श्री खरे ने विद्यालय प्रबंधन के हवाले से बताया कि दरअसल प्राचार्य सुरक्षा की दृष्टि से महंगे आभूषण पहन कर आने से रोकना चाह रही थी। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की तस्वीरें किसी वजह से हटाई गई थी जो पुनः बनवा कर शीघ्र ही लगवा दी जाएंगी।
विद्यालय प्रबंधन की मॉनिटरिंग करने वाले फादर सीजो ने कहा कि वे घटनाओं की जांच कराकर अभिभावकों से इसकी रिपोर्ट साझा करेंगे। उन्हें इस बात से इंकार किया कि विद्यालय प्रबंधन ने तिलक लगाने या हाथ का धागा बांधने या किसी धार्मिक परंपरा का पालन करने पर प्रतिबंध लगाया था।
सं नाग
वार्ता
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