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इंदिरा किसान ज्योति योजना से 700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार

भोपाल, 18 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने आज विधानसभा में बताया कि इंदिरा किसान ज्योति योजना से वित्‍तीय वर्ष 2019-20 में राज्‍य शासन पर लगभग 700 करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त वित्‍तीय भार आने का अनुमान है।
श्री सिंह ने भारतीय जनता पार्टी विधायक भूपेन्द्र सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्‍य शासन द्वारा 'इंदिरा किसान ज्‍योति‍ योजना' 01 अप्रैल, 2019 से लागू की गई है। योजना से वित्‍तीय वर्ष 2019-20 में राज्‍य शासन पर लगभग 700.84 करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त वित्‍तीय भार आने का अनुमान है।
बिजली मेंटेनेंस से जुड़े विधायक विनय सक्सेना के एक सवाल के लिखित जवाब में मंत्री श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा प्रत्‍येक वर्ष मानसून के पूर्व (प्री-मानसून) 33/11 के.व्‍ही. विद्युत उपकेन्‍द्रों, 33 के.व्‍ही. लाईनों, 11 के.व्‍ही. लाईनों, निम्‍नदाब लाईनों एवं वितरण ट्रांसफार्मरों सहित विद्युत अधोसंरचना के रख-रखाव का कार्य किया जाता है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में विद्युत अधोसंरचना के प्री-मानसून (माह अप्रैल से माह जून अथवा मानसून आने तक) रख-रखाव का कार्य आवश्‍यकता के अनुसार किया गया था। वर्ष 2019-20 में भी विद्युत अधोसंरचना के प्री-मानसून (माह मई अंत से माह जून अथवा मानसून आने तक) रख-रखाव का कार्य आवश्‍यकता के अनुसार किया गया/किया जा रहा है।
श्री सिंह ने विधायक प्रवीण पाठक के बिजली उपकरणों की गुणवत्ता संबंधित सवाल के लिखित जवाब में बताया कि मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अंतर्गत विद्युत उपकेन्द्रों एवं विद्युत लाईनों में उपयोग की जा रही मुख्य सामग्री की गुणवत्ता भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्थापित मानकों के अनुरुप है। गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सामग्री की निर्माणकर्ता फर्म के परिसर में ही वितरण कंपनी के अधिकारियों/थर्ड पार्टी एजेन्सी द्वारा प्री-डिलेवरी इंस्‍पेक्‍शन कराया जाता है, जिसके अंतर्गत निविदा की शर्तों के अनुसार सामग्री का परीक्षण किया जाता है। इसके अतिरिक्त सामग्री क्षेत्रीय भण्डार गृह में प्राप्त होने उपरांत रेण्डम सैंपलिंग कर इसका परीक्षण प्रमाणित प्रयोगशाला से कराया जाता है तथा परीक्षण में भारतीय मानकों के अनुसार उचित गुणवत्‍ता पाए जाने पर ही सामग्री स्वीकार कर उपयोग में लाई जाती है।
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