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अदालत ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को सहीं माना

इंदौर, 19 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ की युगलपीठ ने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति बाल कृष्ण शर्मा की नियुक्ति को सहीं ठहराते हुये इस विषय पर दायर एक याचिका को निराकृत कर दिया है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर से मिली जानकारी के अनुसार युगलपीठ के न्यायमूर्ति एस सी शर्मा और वीरेंद्र सिंह ने बीते बुधवार को याचिका की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कल अदालत ने आदेश जारी कर कहा कुलपति की नियुक्ति का अधिकार कुलाधिपति (राज्यपाल) को है। इस मामले में नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया के तहत कुलाधिपति और शासन के बीच परामर्श हो चुका है। जिसके बाद विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति राजभवन की ओर से की गयीं है, जो विधिसम्मत है।
याची एस एल गर्ग (पूर्व प्रचार्य, शासकीय होलकर महाविद्यालय इंदौर) की ओर से पैरवी कर रहें है पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर के अनुसार याची ने इसके पहले इसी विषय को अदालत की एकलपीठ के समक्ष रखा था, जिसे एकलपीठ ने सुने जाने अयोग्य मानते हुये याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता ने 13 मार्च को कुलाधिपति द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति बाल कृष्ण शर्मा को नियुक्त किये जाने के आदेश को मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम के विरूद्ध बताते हुए चुनौती दी थी।
श्री माथुर के अनुसार नियमानुसार याची एस एल गर्ग कुलपति पद के आवेदक होकर नियुक्त कुलपति श्री शर्मा सहित अन्य तीन प्रतिभागियों में वरिष्ठता के आधार पर योग्यता मानकों पर मजबूत दावेदार थे। कुलाधिपति को कुलपति की नियुक्ति से पहले राज्य शासन से रायशुमारी करनी थी, जो उचित रीति-नीति से नही की गयी।
शासन के अधिवक्ता और कुलाधिपति के अधिवक्ता पुष्पेंद्र कौरव (पूर्व महाधिवक्ता मध्यप्रदेश) के अनुसार अदालत ने उनके तर्को पर सहमत होते हुये माना कि कुलाधिपति और शासन के बीच नियुक्ति मामले में परामर्श हो चुका था और कुलाधिपति शासन का परामर्श मानने के लिए बाध्य नही है। लिहाजा कुलपति श्री शर्मा की नियुक्ति सही है। वे यथावत कुलपति बने रहेंगे।
अतिरिक्त महाधिवक्ता रविन्द्र सिंह छाबड़ा के अनुसार युगलपीठ ने कल जारी अपने आदेश में याचिका को सुने जाने योग्य तो माना, लेकिन याचिकाकर्ता के तर्कों को खारिज करते हुए कुलपति की नियुक्ति को सही ठहराया है।
याचिकर्ता ने इस मामले में कुलाधिपति-मध्यप्रदेश, प्रमुख सचिव-उच्च शिक्षा, प्रमुख सचिव-विधि विभाग और रजिस्ट्रार-विक्रम विश्वविद्यालय के पक्षकार बनाते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति के बाल कृष्ण शर्मा के विरुद्ध याचिका दायर की थी।
सं बघेल
वार्ता
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