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श्रावण महोत्सव के प्रथम दिन गायन, सितार वादन एवं कथक ने घोला आस्था रस

उज्जैन 22 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर मंदिर परिसर में श्रावण महोत्सव के आयोजित हुए समारोह में कल भजन गायन, सितार वादन एवं कथक प्रस्तुति ने आस्था का रस घोला जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गयें।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित इस प्रस्तुति में जबलपुर के विवेक कर्महे के शास्त्रीय गायन हुई। उन्होंने अपनी राग विलंबित लय ताल तिलवाडा की बंदिश वारी जाउ रे तुम बिन.....से शुरुआत की और समापन राग मिश्रभैरव पर आधारित शिव भजन शिव के मन सरन हो.... से किया। इनके साथ तबले पर हितेन्द्र दीक्षित, हारमोनियम पर विवेक बंसोड तानपुरे, विजय गाडोदिया एवं चिन्मय नेमा ने संगत की।
द्वितीय प्रस्तुति दिल्ली के मेहताब अली के सितार वादन की हुई। तबले पर रामचन्द्र ने संगत की। अपनी प्रस्तुति की शुरूआत में राग गावती विलंबित लय, तीनताल मध्यलय, तीन ताल ध्रुतलय, तीनताल आलाप जोड झाला आदि की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति के अंत में महादेव पर आरती ऊं जय शिव ओमकारा की धुन प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की तृतीय एवं अंतिम प्रस्तुति दिल्ली की सुश्री स्वाति सिन्हा के कथक की हुई। उन्होंने राग पीलू ताल दादरा पर आधारित शिव वंदना रंगीला शंभू गौरा ले पधारों प्यारा पावणा.... से की। प्रस्तुति का समापन राजस्थानी परंपरा की कृष्ण भक्त चन्द्र सखी की पद रचना नथ मारी दीजो री गिरधारी... से किया। इनके साथ योगेश गंगानी ने तबला, समीउल्ला खॉ ने गायन, पढंत मुद्दसीर खॉ ने सारंगी पर संगत की।
सं नाग
वार्ता
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