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बच्चों के अधिकारों के लिए उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी- इमरती

भोपाल, 25 जुलाई(वार्ता)मध्यप्रदेश की महिला -बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा है कि बच्चों के अधिकारों के लिए उनकी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी बच्चा सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षा तंत्र से न छूटे।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार श्रीमती इमरती देवी ने आज यहां तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष के पहले अगर लडकी की शादी की जाती है, तो उसका जीवन गंभीर परिस्थिति में पहुंच जाता है। कम उम्र में गर्भवती होने से बच्चियों में कुपोषण को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बहुत छोटी उम्र में आश्रम में आने वाले अनाथ बच्चों को जल्द ही उनके परिवार से मिलायें।
यूनिसेफ के श्री माइकल जुमा ने कहा कि भारत में बच्चों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए कानून और योजनाएं बनाई गई हैं। इन पर अमल करना न सिर्फ महत्वपूर्ण है बल्कि जिले और ब्लाक स्तर पर भी सभी अधिकारियों को इसके लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा यूनिसेफ और महिला-बाल विकास प्रदेश में बच्चों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा को रोकने और बच्चों को सुरक्षित माहौल देने के लिये काम कर रहे हैं।
श्री जुमा ने कहा कि बाल-विवाह को रोकने के लिए महिला-बाल विकास विभाग और यूनिसेफ मिलकर कार्य-योजना तैयार कर रहे हैं, जिसमें सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।
प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास अनुपम राजन ने कहा कि बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिलना भी हिंसा की एक श्रेणी हैं और व्यवस्था से जुड़े सभी लोग इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सफलता इसमें है कि हमारे झूला घरों में एक भी बच्चा न हो, सभी को पूरा परिवार मिले।
आयुक्त महिला-बाल विकास एम.बी. ओझा ने कहा कि विसंगतियों और लैंगिक अपराधों की रोकथाम के लिए यह कार्यशाला सहायक सिद्ध होगी।
यूनिसेफ के बाल सुरक्षा विशेषज्ञ श्री लोलीचेन पी.जे. ने कहा कि कार्यशाला में विभाग और यूनिसेफ मिलकर बाल संरक्षण कानूनों के तकनीकी जानकारी साझा करेगी।
प्रशिक्षण कार्यशाला में आईसीपीएस, पोक्सो और जे.जे अधिनियम की जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण में भोपाल, नर्मदापुरम्, रीवा, शहडोल, भिंड और मुरैना जिले के अधिकारी शामिल हैं। इसके बाद ऐसी कार्यशाला इंदौर, उज्जैन और सागर में भी होगी।
व्यास
वार्ता
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