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खंडवा में भारी बारिश के चलते बाढ़ से हालात, 177 छात्राओं को सुरक्षित निकाला गया

खंडवा, 29 जुलाई (वार्ता) पिछले दो दिनों से चल रही मूसलाधार बारिश के चलते मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के नदी-नाले आज उफान पर आ गए, जिससे ग्रामीण अंचलों में बाढ़ से हालात बन गए।
जिला मुख्यालय पहुंची खबरों के अनुसार आशापुर में आज दिन में अग्नि नदी में आई बाढ़ ने खासी तबाही मचाई, जिससे गांव के पचास से ज्यादा मकान आधे डूब गये और सड़कों से संपर्क टूट गया। वहां एक कन्या आदिवासी हॉस्टल के डूब में आने से 177 कन्याओं की जान सांसत में आ गई ,जिन्हें बड़ी मुश्किल से सुरक्षित निकाला गया। इधर वन ग्राम सुंदरदेव में एक नाले के किनारे बने पांच झोपड़े बह गए, वहीं ग्राम बड़गांव में एक स्कूली छात्रा साइकिल से नाला पार करते हुए बह गई। प्रशासन ने पूरे जिले को भारी बारिश के चलते हाई अलर्ट पर रखा है और कल एक दिन स्कूलों की छुट्टी भी घोषित की है। हालाँकि आज देर शाम बारिश का क्रम कुछ थमने से नदियों का जलस्तर तेजी से कम हुआ है और लोगों ने राहत महसूस की है।
जिले में पिछले दो तीन दिनों की बारिश से ही जुलाई माह का कोटा पूरा हो गया है। नदी -तालाब अब लबालब हो गए हैं। आज खण्डवा के हरसूद तहसील के कुछ गांवों में नदियों में भारी बाढ़ आने से हालात चिंताजनक हो गए। नदियों ने तटबंध तोड़कर गाँवों में कई मकानों को अपनी चपेट में ले लिया। लोगों को अपनी जान बचाने के लिए छतों पर शरण लेनी पड़ी।
कलेक्टर-खण्डवा तन्वी सुन्द्रियाल ने बताया कि आशापुर में बाढ़ के चलते जो लोग अपने घरों ,मंदिरों में फंसे थे, उन्हें रेस्क्यू कर लिया है। यहाँ एक आदिवासी कन्या छात्रावास में पानी भरने से वहां मौजूद 177 कन्याओं के साथ ही वहां रहने वाले कर्मचारियों को भी रेस्क्यू किया गया। अब यहाँ पानी उतार पर है। ग्राम सुंदरदेव में पांच झोपड़े बहने की सूचना मिली है। वहीं एक बच्ची के भी बहने की जानकारी मिली है। प्रशासन अलर्ट है और सभी जगह अधिकारी निगाह रखे हुए है। स्कूलों की कल छुट्टी घोषित की गई है।
बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा ख़राब स्थिति आशापुर के आदिवासी कन्या छात्रावास में बनी जो दो तरफ से नदियों से घिरा है। यहाँ देखते ही देखते पानी इस तेजी से बढ़ा कि किसी को सम्हलने का मौका ही नहीं मिल पाया। यहाँ पानी ने सबसे पहले छह फीट ऊँची पक्की बाउंड्रीवाल धराशायी की और पानी तेजी से हॉस्टल में जा घुसा। घबराई हुई बच्चियों ने अपना सामान कमरों में ही छोड़ तुरंत छत पर जाकर अपनी जान बचाई। यहाँ आधी बिल्डिंग पानी में डूबी रही ,छात्राओं का सारा सामान कपड़े,कॉपी-किताब ,उनके पेटियां सब कुछ बाढ़ में बह गया। करीब तीन घंटे तक हॉस्टल की छत पर बारिश में भीगते हुए छात्रायें मदद की गुहार करती रही। वे तब ही यहाँ से निकल सकी जब बाढ़ का पानी उतरने लगा।
आदिवासी हॉस्टल की छात्रा छाया चौहान ने बताया कि हमारे हॉस्टल में नदी का पानी भरने लगा था ,हमारे कमरों में भी पानी आ गया। हम जान बचाकर छत पर भागे। पहली मंजिल डूब गयी थी ,लड़कियों का सामान ,पेटियां और कपडे सब कुछ बाढ़ में बह गया। हमें यहाँ के कर्मचारियों ने सुरक्षित बाहर निकाला।
सं प्रशांत
वार्ता
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