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पुलिस अधिकारी मनो‍वैज्ञानिक भी बनें-डीजीपी

भोपाल 01 अगस्‍त (वार्ता) पुलिस महानिदेशक विजय कुमार सिंह ने कहा पुलिस अधिकारी अच्‍छे मनोवैज्ञानिक भी बनें, जिससे पीडि़तों की काउंसलिंग कर उनकी मदद की जा सके।
श्री सिंह ने आज यह बात महिलाओं एवं बच्‍चों संबंधी अपराध अनुसंधान कौशल उन्‍नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कही। उन्होंने कहा कि पुलिस का व्‍यवहार पीडि़त पक्ष के प्रति सदैव संवेदनशील होना चाहिए, क्‍योंकि पुलिस के पास शिकायत लेकर आने वाले पीडि़त पक्ष की मानसिक स्थिति उस समय सामान्‍य नहीं होती। उन्‍होंने कहा महिलाओं एवं बच्‍चों से संबंधित अपराधों की विवेचना व्‍यवसायिक दृष्टिकोण के साथ पूरी गंभीरता से की जाए। फॅारेंसिक साक्ष्‍य लेने का तरीका सही हो, जिससे न्‍यायालय में हमारे साक्ष्‍य खरे उतरें और अपराधियों को दंड मिल सके।
उन्होंने कहा कि मैदानी पुलिस अधिकारियों के लिए कौशल उन्‍नयन के लिए शुरू हुआ यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिस मुख्‍यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से आयोजित किया गया है। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से आए निरीक्षक व उपनिरीक्षक स्‍तर के लगभग एक सैकड़ा पु‍लिस अधिकारी शिरकत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने के साथ-साथ पुलिस की यह भी प्रमुख ड्यूटी है कि अपराध होने ही न दें। उन्‍होंने कहा पुलिस ऐसे लोगों तक अपनी पहुंच स्‍थापित करे, जो परेशानी होने के बावजूद अपनी बात पुलिस तक नहीं पहुंचा पाते। जिससे उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़े और बेखौफ होकर वे अपनी बात रख सकें।
उन्होंने कहा कि मध्‍यप्रदेश में महिलाओं एवं बच्‍चों से संबंधित अपराधों में सजा दिलाने में मध्‍यप्रदेश देश के अग्रणी राज्‍यों में है। मध्‍यप्रदेश में सजा दिलाने में 9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। महिलाओं के साथ दुष्‍कर्म व उत्‍पीड़न करने वाले 27 अपराधियों को पिछले 15 महीनों के दौरान पुलिस ने मजबूत साक्ष्‍य रखकर फांसी की सजा दिलवाई है।
नाग
जारीवार्ता
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