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अपनी 'दीदी' के जाने से गमगीन विदिशा-रायसेन

विदिशा, रायसेन, 07 अगस्त (वार्ता) पूर्व विदेश मंत्री और मध्यप्रदेश के विदिशा-रायसेन संसदीय क्षेत्र से लगातार 2009 से सांसद रहीं सुषमा स्वराज के अचानक निधन से पूरा संसदीय क्षेत्र गमगीन है।
श्रीमती स्वराज ने भले ही स्वास्थ्यगत कारणों के चलते 2019 में यहां से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया हो, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र के लोगों के दिलों में उनकी अमिट छाप बनी हुई है। समूचे क्षेत्र में वे 'दीदी' के नाम से लोकप्रिय रहीं।
संसदीय क्षेत्र में श्रीमती स्वराज का आखिरी दौरा उस समय हुआ, जब वे अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के दौरान इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव का नामांकन दाखिल कराने आईं। इस दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया उनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों का रियलिटी चेक करना चाहता है, इसलिए उन्होंने एक बुकलेट निकाली है, जिसमें उनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों का विवरण है।
भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता श्रीमती स्वराज ने इस संसदीय क्षेत्र में अनेक बड़ी सौगातें दीं। उनके प्रयासों से विदिशा शहर में अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण हुआ। वे 2009 में पहली बार विदिशा से सांसद चुनी गईं। उस चुनाव में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी राजकुमार पटेल का नामांकन निरस्त होने के बाद चुनाव लगभग एकतरफा हो गया। इस दौरान उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के चौधरी मुन्नवर सलीम से हुआ, जिन्हें श्रीमती स्वराज ने आसानी से पराजित कर दिया। साल 2014 में वे दोबारा विदिशा संसदीय क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी बनीं और कांग्रेस प्रत्याशी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को भी लंबे अंतराल से पराजित किया।
श्रीमती स्वराज बतौर सांसद महीने में एक बार संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा में जाकर जनता के बीच कार्यकर्ताओं और आमजन की समस्या सुनती रही, लेकिन 2016 में किडनी की बीमारी के चलते उनका इस क्षेत्र में आना लगभग रुक सा गया।
टीम गरिमा
वार्ता
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