राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Aug 8 2019 5:56PM बीमार बाघिन टी-23 की उपचार के दौरान अंततः मौतउमरिया, 08 अगस्त (वार्ता) मध्यप्रदेश के उमरिया जिले बांधवगढ़ में मार्च माह से इंक्लोजर मे उपचारार्थ रखी गई 17 वर्षीय बाघिन के स्वास्थ्य मे सुधार नहीं होने के चलते अंततः मौत हो गयी। मृत्यु उपरांत उसका ताला मे अंतिम संस्कार कर दिया गया।बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के प्रभारी उप संचालक ए के शुक्ला ने बताया कि कल डाॅक्टर ने रुटीन चेकअप करने के बाद इंजेक्शन और दवाई दी थी, परंतु उसके शरीर में शाम को कोई हलचल नहीं होने से बठान इंक्लोजर में तैनात कर्मचारियों की सूचना पर देखने के उपरांत उसे मृत पाया गया। उसके शव का आज परीक्षण के उपरांत ताला में अग्नि संस्कार कर दिया गया। इस दौरान टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।उन्होंने बताया कि बाघिन को घायल अवस्था मे रेस्क्यू करके गत 26 मार्च को धमोखर परिक्षेत्र के दुब्बार बीट से बठान इंक्लोजर मे उपचारर्थ रखा गया था और निरंतर डाक्टरों के दल ने उसका उपचार किया, परंतु 17 वर्ष की उम्र पूरी करने के कारण उसका सुधार की अपेक्षा स्वास्थ्य खराब होता चला गया। उसके दांत और नाखून भी घिस गये थे फिर भी वह जब तक मांस खाती रही है वह शिकार करके ही खायी। उसके इंक्लोजर मे इसके लिए जिंदे मुर्गा डाले जाते रहे हैं।बांधवगढ़ की बेहद मशहूर बाघिन बी टू से वर्ष 2002 में जन्मी यह बाघिन टी 23 ने तीन बार मे 9 बच्चों को जन्म दिया और खास यह बात रही है कि इसके प्रायः सभी बच्चे जीवित रहे हैं। इसके शावक टी 6 और टी 40 बांधवगढ़ रिजर्व में पर्यटकों के मध्य खूब मशहूर हुए जिनकी फोटो आज भी लोग देख कर रोमांचित होते है।बांधवगढ़ में महामन मां के नाम से प्रसिद्ध हुयी बाघिन टी 23 ने प्रदेश के जंगलों के दूसरे अन्य बाघों की अपेक्षा सबसे ज्यादा उम्र तक जीवन जीने का कीर्तिमान स्थापित किया है।सं बघेल वार्ता