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घटनाओं का कारण मानसूनी वर्षा, सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर का प्रभाव नहीं: जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

बड़वानी, 30 अगस्त (वार्ता) जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में भूकंपन और तीव्र आवाज की घटनाओं के संबंध में प्रेषित अपनी रिपोर्ट में प्रारंभिक तौर पर मानसूनी वर्षा को इसके लिए उत्तरदायी माना है।
आज बड़वानी के जिला कलेक्टर अमित तोमर को प्रेषित रिपोर्ट में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने बताया है कि अल्प क्षेत्र में हल्की तीव्रता के उक्त झटके ' अर्थक्वेक स्वार्मस' श्रेणी के हैं जो मानसूनी वर्षा के चलते आ रहे हैं । ये ‘हाइड्रो सिसमिसिटी स्वार्मस' दो-तीन महीनों में स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्षा जल जमीन के अंदर जाकर चट्टानों के बीच दाब बढ़ा रहा है जो सीमित क्षेत्र में झटके और आवाज के साथ बाहर निकल रहा है। उन्होंने बताया कि उक्त झटके जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की जबलपुर स्थित वेधशाला में रिकॉर्ड नहीं हुए, हालांकि बड़वानी के पास स्थापित वेधशाला में इसकी तीव्रता 1.6 नापी गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व में भी बड़वानी जिले के पांच पुला और पानसेमल क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि बड़वानी क्षेत्र भूकंप प्रवण जोन 3 के अंतर्गत आता है और यदि इस तरह की घटनाएं नहीं रुकती है तो सूक्ष्म वैज्ञानिक अध्ययन हेतु ‘एमइक्यू’ सर्वे की आवश्यकता पड़ेगी। यह भी सुझाव दिया गया है कि जिला प्रशासन को सामुदायिक आपदा प्रबंधन योजना बनानी होगी। साथ ही यहां के मकानों और भवनों को भूकंप रोधी बनाया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि गत 9 अगस्त से बड़वानी जिले के राजपुर अनुविभाग के एक दर्जन से अधिक ग्रामों में हल्के झटके और आवाज महसूस की जा रही थी जिसके चलते ग्रामीण भयाक्रान्त थे। जिला कलेक्टर द्वारा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भोपाल को घटनाओं की जानकारी देने के उपरांत वैज्ञानिकों ने गत 22 अगस्त को यहां आकर आवश्यक परीक्षण किया था।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने उक्त घटनाओं के लिए सरदार सरोवर परियोजना के बैक वाटर को जिम्मेदार बताया था । इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद मध्यप्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने भी झटको और आवाजों के लिए सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर को जिम्मेदार बताते हुए सरोवर के जलस्तर को कम किये जाने की मांग की थी।
जिला कलेक्टर अमित तोमर ने बताया कि रिपोर्ट में सरदार सरोवर परियोजना के बैक वाटर को घटनाओं के लिए जिम्मेदार न बताते हुए मानसूनी वर्षा को इसका कारण बताया गया है। हालांकि उन्होंने बताया कि नागपुर स्थित जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से वैज्ञानिकों का एक दल 1 सितंबर को आकर प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत परीक्षण करेगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कार्यरत एनडीआरएफ के दल को प्रभावित ग्रामों में जाकर भूकंप की घटनाओं से बचाव के उपाय का डेमो करने के निर्देश दिए गए हैं।
सं.व्यास
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