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मध्यप्रदेश कमलनाथ गांधी दो अंतिम भोपाल

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि गांधी जी के 150वीं वर्ष जयंती में आजादी में उनके द्वारा अपनाएं गए लड़ाई के प्रमुख शस्त्र जिनमें उन्होंने युवाओं, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों में नई चेतना जागृत करने और खादी को लेकर उनका जो दर्शन है उसे जन-जन तक पहुँचाने का सुझाव दिया। उन्होंने बैतूल जिले में हुए जंगल सत्याग्रह पर केंद्रित करते हुए वन क्षेत्रों में पदयात्रा निकालने, ग्राम स्वराज्य की अवधारणा पर ग्रामीण क्षेत्रों में पदयात्रा निकलने, महात्मा गांधी के नाम पर पाठशाला का नामकरण करने और सरकार के सभी पत्राचारों, विज्ञापन में गांधी जी के 150वीं जयंती का लोगो तथा उनके कुटेशन अंकित करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि समाज में कटुता फैलाने वाले लोगों को प्रतिबंधित करने, स्कूलों में प्रार्थना में रामधुन और गांधी जी की सुप्रसिद्ध प्रार्थना ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सम्मति दे भगवान, सभी सरकारी कार्यक्रमों में गांधी जी प्रार्थना तथा खादी के उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया। उन्होंने गांधी जी के नशामुक्ति के प्रति जो विचार है उसके आधार पर युवाओं को नशे से मुक्त करने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से भी गांधी के विचारों को प्रचारित करने तथा पाठ्यपुस्तकों में हाईस्कूल पाठ्यक्रम में गांधी जी के पाठ शामिल करने को कहा।
महाराष्ट्र के वर्धा से आये सुमन बरंत ने कहा कि पर्यावरण को लेकर गांधी जी का विशेष आग्रह रहा है। इस विषय पर हमें युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित करना चाहिए। उन्होंने चरखा का पर प्रबोधन कार्यक्रम और गांधी जी पर केंद्रित पोर्टेबल प्रदर्शनी लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि भागवत कीर्तन के जरिए भी हम गांधी जी को जन-जन तक पहुँचा सकते हैं। उन्होंने गांधी जी के विचारों और उन पर लिखे जाने वाले नए साहित्य को सामान्य भाषा में लिखकर लोगों तक पहुँचाने को कहा। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों में गांधी जी पर केंद्रित पाँच दिवसीय कार्यक्रम हो और आदिवासी क्षेत्रों में भी गांधी जी से संबंधित आयोजन किए जाएँ।
गांधीवादी चिंतक डॉ. एस.एन. सुब्बाराव ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को बधाई दी कि उन्होंने मध्यप्रदेश में महात्मा गांधी जी पर केंद्रित कार्यक्रम उनकी 150वीं जयंती वर्ष पर बड़े पैमाने पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने अपने सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले हमें सांप्रदायिक सद्भाव और देश की अखंडता को मजबूत बनाने वाले कार्यक्रम करना चाहिए। उन्होंने गांधी जी के विचारों को आत्मसात कर निष्ठावान कार्यकर्ताओं का निर्माण करने और धर्म, भाषा में एकता तथा भूख, गरीबी, बेगारी, भृष्ट्राचार और छूआछूत मुक्त भारत बनाने संबंधी प्रयासों को कार्यक्रम में जोड़ने का सुझाव दिया।
पूर्व महाधिवक्ता एवं गांधीवादी आनंदमोहन माथुर ने सभी सरकारी स्कूलों में 1857 से 1947 तक हुए स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले महापुरुषों पर केंद्रित लघु पुस्तिकाएँ बाँटने को कहा। उन्होंने स्कूल कॉलेजों में गांधी जी के जीवन पर केंद्रित निबंध प्रतियोगिता, संग्रहालय, शोध संस्थान स्थापित करने और विद्यालयों और महाविद्यालयों में उदार विचार वाले क्रांतिकारी वक्ताओं के व्याख्यान आयोजित करने का सुझाव दिया।
उन्होंने स्कूल और उच्च शिक्षा में महापुरुषों पर केंद्रित पाठ पाठ्यक्रम में शामिल करने तथा महापुरुषों के स्मारकों का जीर्णोद्धार करने का सुझाव दिया। उन्होंने मध्यकालीन इतिहास को लेकर जो भ्रांतियां फैलायी गई हैं उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराने के लिए भी कार्यक्रम करने को कहा। उन्होंने हर छह गाँव के बीच स्वास्थ्य केन्द्र खोलने उनमें भारतीय चिकित्सा पद्धति से इलाज करवाने की सुविधा उपलब्ध करवाने स्कूलों में सभी भाषाएं पढ़ाने और पुस्तकालय बनाने का सुझाव दिया।
गांधीवादी नेता पी.राजगोपाल ने शांति और अहिंसा का एक मंत्रालय गठित करने सर्वोदय संगठनों को मजबूत बनाने और शांति आधारित पर्यटन बढ़ावा देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि यह वर्ष कस्तूबा गांधी जी का भी 150वां वर्ष है तो हमें महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भूमि अधिकार देने और गाँवों को भूमि विवाद से मुक्त कराने की मुहिम चलाने को कहा।
श्री चंद्रिकाप्रसाद द्विवेदी ने बड़वानी जिले में डूब में आये गांधी जी के स्मारक को अन्य स्थान पर भव्य रूप में स्थापित करने वास्तविक रूप में ग्रामस्वराज्य लागू करने तथा युवा पीढ़ी को भ्रमित करने वाले इतिहास तथा उन्हें प्रदूषित विचारधारा से मुक्त करने का अभियान चलाने का सुझाव दिया।
श्री एल.एस. हरदेनिया ने गांधी जी की शिक्षा संस्कृति महिलाओं और विश्वशांति को लेकर जो विचार हैं उन्हें हर पंचायत तक पहुँचाने और गांधी जी पर केंद्रित फिल्में स्कूलों में दिखाने तथा गांधी जी के प्रति पूरे विश्व के जिन महापुरुषों ने विचार व्यक्त किए हैं उन्हें बच्चों और युवाओं को अवगत कराने का सुझाव दिया।
श्री करुणाकर त्रिवेदी ने गांधी जी के विचार व्यवहार और मूल्यों से अवगत कराने खादी के महत्व को पुन:स्थापित करने और गांधी जी के विचारों को लेकर जो संस्थान काम कर रहे हैं उन्हें सशक्त बनाने को कहा।
श्री चिन्मय मिश्रा ने गांधी जी के विचारों के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को भी रेखांकित करने को कहा। गांधी जी के विचारों पर केंद्रित सांस्कृतिक उत्सव और जो कानून दमनकारी हों उन्हें नरम बनाने या समाप्त करने का सुझाव दिया।
श्री घनश्याम सक्सेना ने गांधी जी के जंगल सत्याग्रह को प्रचारित करने और धर्मनिरपेक्षिता को मजबूत बनाने के संबंध में सुझाव दिए।
सुश्री मीनाक्षी नटराजन ने एनएसएस के राष्ट्रीय एकता शिविर लगाने, विश्वविद्यालय में गांधी अध्ययन केंद्र खोलने और फैलोशिप स्थापित करने को कहा। सुश्री नटराजन ने संविधान पर केंद्रित पुस्तक प्रकाशित करने और बच्चों तथा युवाओं को उससे अवगत कराने का सुझाव दिया।
बैठक में संस्कृति मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव एवं पंचायत ग्रामीण मंत्री कमलेश्वर पटेल उपस्थित थे। बैठक में मुख्य सचिव एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
नाग
वार्ता
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