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आरक्षक भर्ती परीक्षा मामले में आरोपित छात्र को सात साल की कैद

भोपाल, 19 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश राकेश कुमार शर्मा ने अाज आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 घोटाले मामले में आरोपित छात्र को 7 साल कैद और 8 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
मामले में आरोपित दलाल और फर्जी अभ्यर्थी को सबूत के आभाव में बरी कर दिया गया।
अभियोजन अनुसार घटना 7 फरवरी 2014 को भोपाल स्थित मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आरक्षक भर्ती शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान हुई थी। परीक्षा कमेटी सदस्य राजेश सिंह भदौरिया ने जहांगीराबाद थाने में रिपोर्ट की थी कि शारीरिक दक्षता परीक्षा में मनीष सिंह नामक अभ्यर्थी शामिल हुआ था जिसके प्रवेश पत्र संदेहास्पद पाया गया।
जांच में पाया गया कि प्रवेश पत्र में चस्पा फोटो और हस्ताक्षर उपस्थित अभ्यर्थी से मेल नहीं खा रहे हैं। सख्ती से पूछताछ में पता चला कि उपस्थित व्यक्ति का नाम सतेन्द्र यादव था जो कि मूल अभ्यर्थी रानीपुरा अटेर भिण्ड निवासी मनीष सिंह के स्थान पर परीक्षा में शामिल हुआ था। इस काम में दलाल बिप्पू उर्फ विजय बहादुर ने मोटी रकम लेकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था।
आरोपित ने दलाल के माध्यम से फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। इस मामले में मूल अभ्यर्थी मनीष सिंह, दलाल बिप्पू उर्फ विजय बहादुर, और फर्जी अभ्यर्थी के रूप में शामिल सत्येन्द्र यादव के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़े और मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत अदालत में चालान पेश किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोपितों के खिलाफ गवाही व सबूत पेश किए थे किन्तु मामले में आरोपित छात्र मनीष सिंह के खिलाफ ही अपराध प्रमाणित पाए जाने पर सजा का फैसला सुनाया गया।
सं नाग व्यास
वार्ता
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