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राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


कुओं-बावड़ियों के संरक्षण के लिये एप्को की कार्य-योजना

बुरहानपुर, 28 सितम्बर (वार्ता) पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) ने यहां जिले के पारम्परिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है।
एप्को ने कार्य-योजना बनाकर स्थानीय नगरीय निकाय के माध्यम से उसका क्रियान्वयन शुरू कराया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार कार्य-योजना के अनुसार बुरहानपुर जिले में 71 पारम्परिक कुओं और बावड़ियों तथा कुण्डी भण्डारा के कछार क्षेत्र का संरक्षण किया जा रहा है। इसी तरह 250 शासकीय भवनों के 5807 वर्गमीटर क्षेत्र में वर्षा जल संचयन का कार्य किया जा रहा है। बुरहानपुर नगर के कुण्डी भण्डारा केचमेंट क्षेत्र में ईको रेस्टोरेशन शुरू किया गया है। इससे केचमेंट क्षेत्र के करीब 325 हेक्टेयर भूमि में वन क्षेत्र का ईको रेस्टोरेशन होगा।
देश में एक मात्र जीवित भूमिगत भू-जल संरचना बुरहानपुर के ऐतिहासिक कुण्डी भण्डारे के नाम से प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को हेरिटेज सिटी नेटवर्क के अंतर्गत कनात नाम से जाना जाता है। करीब 600 वर्ष ईसा पूर्व ताप्ती नदी के किनारे बसे बुरहानपुर में 1500 वर्ष काल में 11 राज घरानों ने राज किया। शहर में जल प्रबंधन का अनूठा नमूना है। यहाँ का कुण्डी भण्डारा जल संरक्षण कर लोगों तक पीने का पानी पहुँचाने की विशिष्ट मानव निर्मित संरचना है, जो पूरे देश में सिर्फ यहीं है, जो अभी भी कार्य कर रही है।
मुगल काल के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना ने 1615 ईसवी में कुंडी भण्डारा को बनाया था। इसमें सतपुड़ा पर्वत मालाओं से ताप्ती की ओर प्रवाहित जल स्त्रोतों का पानी जमीन से 80 फीट नीचे इकट्ठा किया जाता था। इसे भूमिगत नहरों से बुरहानपुर नगर की ओर भेजा जाता था। यह स्थान शहर से 7 किलोमीटर दूर है। पूरे रास्ते में 108 कुंडियाँ ऊपर से खुली हैं ताकि हवा के दबाव से भूमि के चेनल के अन्दर के पानी को एक शक्तिशाली दबाव से ऊपर उठाया जा सके। इस तरह की भूमिगत नहर प्रणाली ईरान-ईराक जैसे देशों में व्यापक स्तर पर बनाई गई है। बुरहानपुर की 400 वर्ष पुरानी इस धरोहर की तकनीक, अभियांत्रिकी, कार्यप्रणाली और डिजाईन को देखने और समझने के लिये दुनिया भर के लोग बुरहानपुर आते हैं। कुंडी भण्डारा का केचमेंट क्षेत्र लगभग 1200 हेक्टेयर है। इससे अभी भी शहर में 10 से 15 प्रतिशत पानी की आपूर्ति होती है।
बुरहानपुर में मंजूर जल संरक्षण योजना में सामूहिक जन-भागीदारी से परम्परागत जल संग्रहण संरचनाओं की मरम्मत और सफाई का काम किया जा रहा है। शहर में चारागाह विकास और मृदानमी संरक्षण का काम प्राथमिकता से किया जा रहा है। शहर में सामुदायिक जन-भागीदारी से वृक्षारोपण की मुहीम भी चलायी गई है।
नाग
वार्ता
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