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छत्तीसगढ़ सरकार को झटका, 82 प्रतिशत आरक्षण संबंधी आदेश पर रोक

बिलासपुर, 04 अक्टूबर (वार्ता) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य में 82 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने संबंधी राज्य सरकार के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू की युगलपीठ ने संबंधित मामले मे विभिन्न लोगों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद एक अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राज्य सरकार ने चार सितंबर 2019 को अध्यादेश जारी कर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को 27 प्रतिशत कर दिया। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और केंद्र के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को मिलाकर राज्य में आरक्षण 82 फीसदी हो गया। इसके अलावा महिला, दिव्यांग तथा अन्य वर्ग के लिए भी आरक्षण का प्रावधान जोड़ने पर आरक्षण की सीमा 90 प्रतिशत तक पहुंच रही थी। राज्य सरकार के इस प्रावधान के खिलाफ आदित्य तिवारी, कुणाल शुक्ला, पुनेश्वरनाथ मिश्रा, स्नेहिल दुबे और पुष्पा पांडेय ने न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के दिशा निर्देश के विपरीत कुल आरक्षण 82 प्रतिशत कर दिया है।
राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 45.5 प्रतिशत से अधिक होने के कारण आरक्षण बढ़ाया गया है। इसके अलावा सरकार को आरक्षण बढ़ाने का अधिकार है। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण और तमिलनाडु में भी राज्य सरकार ने आरक्षण बढ़ाया है।
हबीब/टंडन.श्रवण
वार्ता
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